क्या दिग्गी क्या सिंधिया, सबने अपने समर्थकों को वापस लौटाया

shailendra gupta
इंदौर। कांग्रेस में अपने नेता के दम पर टिकट पाने की प्रथा इस बार खत्म होती नजर आ रही है। 17-18 सितंबर को टिकट की आस में दिल्ली पहुंचे दावेदारों से बड़े नेताओं ने स्पष्ट कह दिया कि सिस्टम से आने वाले नाम पर ही विचार होगा।

इस बार उम्मीदवार का चयन दो ही आधार पर होगा। पहला ब्लॉक, जिलाध्यक्ष और फिर प्रदेश कांग्रेस द्वारा दी गई पैनल के नाम तथा दूसरा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दो अलग-अलग एजेंसियों से करवाए गए सर्वे की सूची। दोनों सूची में जो नाम समान होंगे, उसे ही प्राथमिकता मिलेगी।

इसी बात को समझाते हुए दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह, चुनाव प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य नेताओं ने समर्थकों को उलटे पैर लौटा दिया। 18 की बैठक में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सभी नाम आगे बढ़ा दिए थे। 

नेता नहीं लेना चाहते रिस्क

स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री के बारे में कहा जाता है कि राहुल गांधी की गाइड लाइन से वे अलग नहीं चलते। इसलिए प्रदेश का कोई भी नेता अपने दम पर किसी का खुलकर नाम नहीं ले रहा है।

22 को 70% नाम हो जाएंगे फाइनल

22 सितंबर को होने वाली बैठक में 70% सीटों पर नाम फाइनल हो जाएंगे। ज्यादा उलझन वाली सीटों पर कमेटी अलग से फैसला करेगी। हालांकि अंतिम फैसला राहुल गांधी ही करेंगे।

नेता नहीं जीत होगा पैमाना

टिकट वितरण में इस बार किसी नेता का समर्थक होना पैमाना नहीं होगा। उम्मीदवार उसे ही बनाया जाएगा, जो जितने में सक्षम होगा। फिर चाहे वह किसी भी नेता का समर्थक हो। जो पहले होता आया हैं, उसे भूल जाएं।

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