भोपाल। कैलाश विजयर्गीय अपनी बात पर 8 घंटे भी टिके नहीं रह पाए। पहले उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि 'यह मेरा निर्णय भावना से ग्रसित होकर नहीं है' अब ताजा अपडेट आया है कि 'Social Media अपनी भावनाओ को व्यक्त करने का स्थान मात्र है।'
इस मामले में दिनभर क्या उठापटक चलती रही, कैलाश ने इस बहाने किस पर प्रेशर बनाया और किसके प्रेशर में कैलाश ने यूटर्न लिया यह सबकुछ सुबह के अखबार शायद बता दें। हम तो केवल यह बताने जा रहे हैं कि फेसबुक पर कैलाश विजयवर्गीय ने क्या लिखा, अर्थ आप खुद निकाल लीजिए, लोगों को बताना चाहें तो नीचे कमेंट बॉक्स में शेयर कर दीजिएगा, आपका सदैव स्वागत है।
गुरूवार 12 सितम्बर दोपहर कोई 12 बजे कैलाश विजयवर्गीय ने अपने फेसबुक पेज facebook.com/KailashOnline पर लिखा
कल रात बच्चों के आग्रह पर 11:30 बजे मैं घर पहुँच गया था...अपनी माताजी के साथ बैठकर उनसे बात कर रहा था तभी अचानक 11:45 बजे ढोल-नगाड़े बजने की आवाज़ आई. हजारों की संख्या में नौजवान हमारे घर की ओर चारों तरफ से आए. मैं इतनी बड़ी संख्या में तरुनाई को देखकर आश्चर्यचकित रह गया.
युवाओं ने पटाखे छोड़े, ढोल की थाप पर नाचते रहे, मिठाइयां बांटी...और इस उत्सव रुपी माहौल में इंद्रदेवता ने भी वर्षा के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. नौजवानों के उत्साह में कोई कमी नहीं थी...वर्षा के कारण पटाखों की आवाज़ कम हो गयी परन्तु ढोल-नगाड़ों की आवाजें आती रही. जब उन नौजवानों को पता लगा कि मैं अपनी माताजी के साथ घर में ही ऊपर बैठा हूँ सभी लोग ऊपर आए...मेरी माताजी और मेरे चरण स्पर्श किए...90% नौजवान 16-25 वर्ष के थे...सबके चेहरे पर क्रीम पुता हुआ था...होली और दिवाली एक साथ दिखाई दे रही थी. करीबन एक घंटे तक यह क्रम चलता रहा. युवाओं में आकाश की लोकप्रियता देखकर मेरा परिवार गद-गद हुआ परन्तु मैं रातभर सोचता रहा कि मुझे आकाश के रास्ते से हटना चाहिए...आगामी विधानसभा चुनाव में मुझे परदे के पीछे रहना चाहिए.
आकाश के जन्मदिन पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई...और शायद यह निर्णय उनके जन्मदिन पर मेरी ओर से सौगात होगी (यह मेरा निर्णय भावना से ग्रसित होकर नहीं है)
अपने शुभचिंतकों का इस विषय पर मत भी जानना चाहूँगा.
कोई 8 घंटे बाद उनका नया अपडेट आया
Social Media अपनी भावनाओ को व्यक्त करने का स्थान मात्र है !! जहाँ मैंने अपने मन की बात को रखा...........मगर शायद उसे अलग-अलग अर्थों में लिया गया.............
में यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ यह मेरे व्यक्तिगत विचार है, पार्टी के आदेश अनुसार मुझे जहा से लड़ना तय किया जायेंगा, मैं पालन करूँगा, और संभवतः हर किसी के विषय में "कहा से लड़ना" या "लड़ना या न लड़ना" का अंतिम निर्णय पार्टी का ही होगा !!!!
इस पूरे घटनाक्रम में हर शब्द का अर्थ है और हर अर्थ के लिए कई शब्द हैं। देखना यह है कि कौन क्या निकालता है और अंतत: क्या निकलकर सामने आता है।