भोपाल। जोधपुर की एक अदालत ने आसाराम के एक आश्रम की उस वार्डन की अग्रिम जमानत की अर्जी गुरुवार को खारिज कर दी जो कि आसाराम द्वारा एक किशोरी के कथित यौन उत्पीड़न मामले में सहआरोपी है।
जिला एवं सत्र अदालत ने मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा गुरुकुल की वार्डन शिल्पी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास ने कथित षड्यंत्र में शिल्पी की भूमिका और उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत का उल्लेख करते हुए कहा कि जांच के इस स्तर पर शिल्पी की जमानत याचिका स्वीकार करना ठीक नहीं होगा।
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने की आशंका जताते हुए शिल्पी ने बुधवार को अदालत में याचिका दायर की थी और कहा था कि पुलिस ने उससे इस मामले में पहले ही पूछताछ कर ली है और उसका इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं है।
अभियोजन पक्ष के वकील आनंद पुरोहित ने उसके दावे का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस मजबूत सबूत के आधार पर उसके पीछे है। उन्होंने कहा कि वह शिल्पी ही थी जिसने लड़की को आसाराम के पास जोधपुर भेजने का षड्यंत्र रचा था। उसने उसके अभिभावकों पर इस बात को लेकर प्रभावित किया कि लड़की पर बुरी आत्माओं की छाया है।
दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने उसकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि जांच को पूरा करने में वह पुलिस के लिए महत्वपूर्ण सूत्र है और उसे जमानत नहीं दी जा सकती।
अदालत ने आसाराम की उस अर्जी पर सुनवाई पूरी कर ली जिसमें उन्होंने जेल में विशेष भोजन की मांग की थी। अदालत ने इस पर अपना फैसला कल तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
अदालत ने इस बात का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड को आसाराम की जांच करने का निर्देश दिया था कि क्या उनकी स्वास्थ्य स्थिति ऐसी है जिसमें उन्हें जेल के बाहर से भोजन देने की आवश्यकता हो जैसा उन्होंने दावा किया है। (भाषा)