भोपाल। पिछले दिनों एक प्रेस कांफ्रेंस के बीच में आकर दागियों को बचाने वाले अध्यादेश के बकवास करार दे जाने वाले राहुल गांधी के ड्रामे को मध्यप्रदेश के तीरंदाज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने रचा था। इस तरह वो राहुल गांधी को पूरे देश का हीरो बना देना चाहते थे।
कांग्रेस आमजन को संदेश देना चाहती थी कि राहुल गांधी देश में ऎसा नेता हैं, जो कि साफ-सुथरी पॉलिटिक्स में यकीन में रखते हैं। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी संकेत दे दिए हैं कि अब राहुल गांधी कमान संभालने जा रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो इस स्क्रिप्ट की तैयारी उसी दिन शुरू हो गई थी, जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अध्यादेश पर आपत्ति के संकेत दिए थे। राहुल के लिए यह पूरी स्क्रिप्ट तैयार करने वालों में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, मुरली देवडा, सचिन पायलट, राहुल के चीफ ऑफ स्टाफ कनिष्क सिंह, मधुसूदन मिस्त्री और अजय माकन शामिल रहे।
सूत्रों के मुताबिक राहुल की टीम के मुरली देवडा, सचिन पायलट, मधुसूदन मिस्त्री कनिष्क सिंह व नए शामिल हुए अजय माकन गुरूवार को दिल्ली में 11 तुगलक लेन पर मिले। फिर चार महत्वपूर्ण राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए इन नेताओं ने राहुल को साफ छवि वाले नेता के तौर पर पेश करने की योजना बनाई। इसके बाद शुक्रवार सुबह इस अध्यादेश पर सवाल उठाने वाला राहुल का पत्र तैयार हुआ।
इस पत्र को तुरंत ही पीएमओ भेज दिया गया। परेशान अधिकारियों ने तुरंत ही यह पत्र वाशिंगटन में भारतीय दूतावास को फैक्स कर दिया। आधी रात के बाद वाशिंगटन में यह पत्र पीएम के सहयोगियों तक पहुंचा। तब तक मुरली देवडा व उनकी समर्थक प्रिया दत्त टि्वटर पर इस अध्यादेश का विरोध जता जुके थे। इसके बाद राहुल की कोर टीम ने धमाका करने का निर्णय किया। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष अजय माकन तीन दिन पहले ही प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में राहुल की मीट द प्रेस तय कर चुके थे।
राहुल के सलाहकारों को लगा कि धमाका करने का यही सही समय है। यह धमाका भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तीन दिन बाद दिल्ली में होने वाली रैली से दो दिन पहले किया गया। इस धमाके के बाद पीएम मनमोहन सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात की। सोनिया ने इसे पैच-अप करने की कोशिश की।
सरकार ने तय किया कि अध्यादेश को राष्ट्रपति भवन से वापिस ले लिया जाएगा। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राहुल यह गुप-चुप भी कर सकते थे। वे चिदंबरम व कपिल सिब्बल को बुलाकर इस अध्यादेश को वापिस लेने के लिए कह सकते थे। लेकिन यह ड्रामा जरूरी समझा गया, यह बताने के लिए की राहुल स्वच्छ राजनीति के पक्षधर हैं।