राकेश दुबे@प्रतिदिन। सलमान खुर्शीद आत्म मुग्धता की स्थिति में हैं | उन्हें यह गलतफहमी हो गई है, वे बड़े कूटनीतिग्य है, टुंडा और भटकल उनके प्रयास से ही पकड़े गये हैं | देश की ख़ुफ़िया एजेंसी तो घास छीलने का काम करती है |
किसी के आत्ममुग्ध होने या गलतफहमी में रहने पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन जब मामला देश की सुरक्षा और अस्मिता का आता है, तो ऐसे आत्म मुग्ध लोगों को आइना दिखाना भी जरूरी है | पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री युसूफ राजा परवेज़ की अजमेर यात्रा, उनका ख़ैर-ए-मकदम उसमे मियां सलमान खुर्शीद की भूमिका और उसके पहले और बाद में पाकिस्तान द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई किसी से छिपी नहीं है | तब भी तो आप मंत्री थे मियां | अब बिला वजह अपने हाथ से अपनी पीठ ठोंक रहे हैं|
यह भारतीय ख़ुफ़िया तंत्र की कामयाबी है | टुंडा से ज्यादा श्रेय का विषय भटकल की गिरफ्तारी है | इंडियन मुजाहिदीन के तीन संस्थापकों में से एक है यासीन भटकल | २००८ में देश के विभिन्न शहरों में धमाके कर २०० से अधिक लोगों का हत्यारा है, भटकल | टुंडा के बयान से भटकल को पकड़ने के सुराग मिले थे | ख़ुफ़िया तंत्र के चार उन अधिकारियों को इसका श्रेय मिलना चाहिए, जो भटकल को पकड़ने के लिए देश विदेश में भटकते रहे |
इसे कामयाबी मानकर बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है |अगले साल तक अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी सेना वापिस बुला लेगा | तब भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी के सामने और बड़ी एवं कड़ी चुनौती होगी |इस बात का अंदेशा अभी से लग रहा है की लश्कर और अन्य आतंकी संगठन भारत के खिलाफ नये षड्यंत्र रचेंगे | मियां खुर्शीद ख़ुफ़िया अधिकारियों ने टुंडा और भटकल के हेंदलर अधिकारियों के नाम मालूम कर लिए है | कुछ करना चाहते है तो अपनी कूटनीति इधर दिखाएं |
