नई दिल्ली। दिल्ली के सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त तथा निजी स्कूलों के शिक्षक 65 वर्ष तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली मंत्रिमंडल ने शहर के करीब एक लाख शिक्षकों को खुश करने के लिए उन्हें पुनर्नियुक्ति पर 65 वर्ष तक नौकरी करने की छूट देने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री दीक्षित की अध्यक्षता में सोमवार को हुई दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया। संभावना है कि शिक्षक दिवस के मौके पर 5 सितंबर को मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इसका आधिकारिक तौर पर ऐलान करेंगी।
सनद रहे कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी का हवाला देते हुए शीला सरकार ने 4 सितंबर, 2006 को राजधानी में स्कूली शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल से बढ़ाकर 62 साल कर दी थी। अब यह उम्र सीमा बढ़ाकर 65 साल की गई है। शहर में करीब एक हजार सरकारी स्कूल हैं, जबकि सरकारी सहायता से चलने वाले पब्लिक स्कूलों की संख्या 220 के आसपास है। शहर में निजी स्कूल भी 1500 के आसपास हैं। मंत्रिमंडल के इस फैसले से करीब एक लाख शिक्षकों को फायदा होने की संभावना है।
शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किए गए कैबिनेट नोट के अनुसार स्कूली शिक्षकों, उप प्रधानाचार्यो तथा प्रधानाचार्यो की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल से बढ़ाकर 65 साल की जाएगी। शर्त यह रखी गई है कि संबंधित शिक्षकों का स्वास्थ्य ठीक हो तथा उनके खिलाफ सतर्कता जांच नहीं चल रही हो।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि सरकार के योजना व वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी लेकिन चुनावी साल में इस फैसले के लाभ के मद्देनजर शिक्षा विभाग ने इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि राजधानी के सरकारी स्कूलों में 13 हजार शिक्षकों की कमी है, लेकिन शिक्षा निदेशालय के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद दिल्ली स्टेट सबआर्डिनेट सेलेक्शन बोर्ड खाली पड़े पदों के लिए नियुक्तियां नहीं कर रहा है।
शिक्षा विभाग के कैबिनेट नोट में कहा गया है कि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए डीएसएसएसबी से अनुरोध किया गया है। वह शिक्षकों की नियुक्ति कर देता है तो पुनर्नियुक्ति के तहत उम्र सीमा बढ़ाकर नियुक्त किए जा रहे शिक्षकों को हटा लिया जाएगा।
दिल्ली सरकार के अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी तो है ही, अन्य कर्मियों का भी अभाव है, जबकि छात्र-छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में शिक्षकों को 65 साल तक पुनर्नियुक्ति के तहत काम करने की छूट देने का फैसला सही है।