वरिष्ठ अ​ध्यापकों की मांग: या तो नियम बदलो या हमारे प्रमोशन वापस लो

राज्य अध्यापक संघ म.प्र. के जिला मंडला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने सरकार पर आरोप लगाया है कि अध्यापकों को शिक्षक संवर्ग के समान वेतन दिये जाने वाले आदेश में त्रुटिपूर्ण फार्मूले का उपयोग किया गया है।

जिसके कारण -
1.    1/9/2017 को 1998 में नियुक्त अध्यापक का वेतनबेण्ड में वेतन रू.18237 होगा जबकि 1998 में ही नियुक्त उच्च पद वाले वरिष्ठ अध्यापक का वेतनबेण्ड में वेतन रू.17353 होगा। यही स्थिति अध्यापक पद से वरिष्ठ अध्यापक पद पर पदोन्नति से भी बनेगी।
2.    पदोन्नति प्राप्त करने वाले अध्यापक के सेवा  की गणना कब से की जायेगी स्पष्ट उल्लेखित नहीं है। यदि किसी वरिष्ठ अध्यापक के सेवा काल की गणना  पदोन्नति प्राप्त करने के दिनांक से की जाती है तो ऐसी स्थिति में पदोन्नति उपरांत प्राप्त वेतन पदोन्नति से पहले प्राप्त वेतन से बहुत कम होगा।
3.    जो अध्यापक से पदोन्नति लेकर वरिष्ठ अध्यापक बने हैं उनकी शिक्षक संवर्ग से अंतर की राशि रू.7000 (यदि सेवा की गणना प्रथम पद पर नियुक्ति से भी मानी जाये) अर्थात प्रथम किस्त रू.1750 और यदि पदोन्नति न हुई होती तो अंतर की राशि रू.10400 अर्थात प्रथम किस्त रू.2600 ।
4.    जिस प्रकार से वेतन संरचना में परिवर्तन के नियम बनाये गये हैं। 22 डी का लाभ भी नहीं मिल रहा है।
स्पष्ट है कि अध्यापक संवर्ग को शिक्षक के समान वेतन दिये जाने के लिये जिस फार्मूले का उपयोग किया गया है वह न्याय संगत नहीं है। इसलिये सरकार म.प्र.शासन वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश क्र. एफ-8/2009/नियम/चार भोपाल दिनांक 20 अगस्त 2009 के अनुसार संशोधन कर  सहायक अध्यापक, अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक को प्रारम्भिक वेतन क्रमशः रू.7440, रू.9300 व रू.10230 दिया जाकर 1.86 फार्मूला अपनाये और विसंगतियों को दूर करे। ऐसा न किये जाने पर वरिष्ठ अध्यापक अपनी पदोन्नति वापिस लेने की मांग करेंगें । वे वरिष्ठ अध्यापक भी जिनकी नियुक्ति वरिष्ठ अध्यापक पद पर ही हुई थी वे भी अध्यापक पद पर जाने की मांग करेंगें।

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