अंटोनी की ताजपोशी, शिवराज का पीएम चेयर की ओर एक और कदम

shailendra gupta
भोपाल(उपदेश अवस्थी)। ये मुई राजनीति जो ना करवाए वही कम है। मध्यप्रदेश के निर्विवाद लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को क्या क्या नहीं करना पड़ रहा। पहले अपनी ही पत्नि पर अश्लील टिप्पणी करने वाले मंत्री से समझौता किया, अब कांग्रेस को जवाब देने के लिए एक ईसाई अफसर को मुख्यसचिव बना दिया।

लोग कितना भी कहें कि अंटोनी डिजर्व करते हैं, परंतु जिस वक्त पर उनको प्रमोट किया जा रहा है वह चुनावी साल है और इस समय सरकार के हर कदम को वोट की राजनीति से तौलकर देखा जाता है। हालांकि अंटोनी में कोई दागधब्बे नहीं है, लेकिन साफ सुथरे तो दूसरे अफसर भी थे। अंटोनी काबिल हैं, लेकिन दूसरे अफसर भी नाकाबिल नहीं थे।

सवाल केवल यह है कि अंटोनी ही क्यों। अब चुनावी साल है तो लोग कह ही सकते हैं कि कांग्रेस से टकराने और खुद को साम्प्रदायिक सदभाव का नया एड्रेस प्रमोट करने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने ऐसा किया। इससे ईसाई समुदाय और ईसाईयों से प्रभावित भारत के उन इलाकों में अच्छा संदेश जाएगा जहां के सांसदों के साथ मिलकर भारत की नई सरकार बनानी है।

जी हां, अंटोनी के कंधे पर रखी गई बंदूक का निशाना मध्यप्रदेश नहीं है, दिल्ली है। शिवराज सिंह चौहान के मैनेजर्स को मालूम है कि आगामी सरकार फिर गठबंधन की सरकार होगी। मोदी में इतनी हिम्मत नहीं कि वो अकेले 272 सीटें समेट लाएं और फिर आडवाणी और सुषमा हैं ही उनकी जड़ों में मठा डालने के लिए। ऐसे में भाजपा को बहुमत असंभव ही है।

सरकार गठबंधन की बनेगी तो उसका नेता मोदी तो कतई नहीं हो सकते। वो तो हिन्दू हैं, हिन्दुओं के नेता हैं। बिहार के नीतिश हो सकते थे परंतु उन्होंने एनडीए रिजाइन करके गलती कर दी अब पीएम की सीट तो नहीं मिलेगी। हालांकि राजनाथ सिंह का नाम भी चल रहा है, लेकिन सब जानते हैं कि जिसका प्रभाव अपने मोहल्ले में ही ना हो वो संघ और हिन्दू नेताओं की कृपा से पीएम तो नहीं बन सकता ना।

अब बारी आती है अपने शिवराज सिंह चौहान की। यहां पहले से ही कई रिकार्ड दर्ज हैं, किसान का बेटा है, खुद किसान है, बुजुर्गों को यात्रा कराई, निर्धन कन्याओं का विवाह कराया, मुसलमानों के हर आयोजन में टोपी लगाकर शामिल होते हैं। अब केवल ईसाई ही बचे थे तो अंटोनी को प्रदेश का सबसे ताकतवर अफसर बनाकर वो कसर भी पूरी कर दी गई। अब वामपंथी हों या पश्चिम पंथी कोई भी दल, नेता या संप्रदाय शिवराज का विरोध नहीं कर पाएगा। 
बस यही तो चाहिए, बाकी सबके लिए आडवाणी और सुषमा स्वराज हैं ना। 
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