राकेश दुबे@प्रतिदिन। कहने को आज चुनाव 2014 का दोनों हो ओर से अनौपचारिक आगाज़ हो गया है | नरेंद्र मोदी ने जहाँ जयपुर से अभियान की हुंकार भरी, वही दलेर मेहँदी की धुन पर आत्ममुग्ध राहुल गाँधी ने शीला दीक्षित को ठुमके लगते देखा|
नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी की प्रधानमंत्री पद की अनौपचारिक घोषणा अब ज्योतिषियों के शुभ समय और मुहूर्त का इंतजार के कारण औपचारिक नहीं हो पा रही है|
वैसे कांग्रेस में भीतर-भीतर कुछ चल रहा है, पर भाजपा में जो कुछ चल रहा है वह कुछ लोगों के बीच में स्थाई दोस्ती को तकरार में बदल रहा है| निशाने तय हो रहे हैं| मध्यप्रदेश में मोदी राडार तेजी से घूम रहा है| संघ के अनुषांगिक मजदूर संगठन के कुछ पूर्व पदाधिकारी पल-पल की खबर संघ के अधिकारियों के साथ मोदी के आई टी संसार में भी भेज रहे हैं| कहीं भी कुछ घटा नहीं और फेसबुक पर आया | इस कारण कई विषय सुलझने के बजाय उलझ रहे हैं और इसके सुखद और दुखद परिणाम विधानसभा चुनाव के बाद छतीसगढ़ में कम मध्यप्रदेश में ज्यादा दिखाई देंगे |
कांग्रेस हो या भाजपा आमचुनाव में दोनों ही २७२+ का सपना देख रही है | मोदी और राहुल के नाम के आलावा उम्मीदवारों का चयन उनके अगले-पिछले खाते और उनके दल की छवि ही प्रधानमंत्री का सिंहासन किसी को सौंपेगी | तब तक इन दोनों नेताओं की छबि उनके मित्र और दल के भीतर शामिल अतिमित्र कितनी चमकदार रहने देते हैं | अभी मित्र जितनी छबि चमकाते हैं अतिमित्र पानी फेर रहे हैं |