RKDF Reging कांड में चुप क्यों है कांग्रेस

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लावारिस शहर/उपदेश अवस्थी। अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले आरकेडीएफ की छात्रा ने फांसी का फंदा बांध लिया और ईद व रक्षाबंधन जैसे संवेदनशील त्यौहारों से पहले अनीता ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया। इसे लेकर स्टूडेंट्स आक्रोशित थे, शिवराज सरकार ने गंभीरता को समझा और तत्काल कार्रवाई की, परंतु समझ यह नहीं आ रहा कि इस पूरे मामले में कांग्रेस क्यों लापता रही।

एक विक्षिप्त युवक यदि ट्रक चलाने की कोशिश करे और सड़क दुर्घटना हो जाए तो नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह को प्रदेश भर में अराजकता का माहौल दिखाई देता है, वो अखबारों में खबरें प्रकाशित होने से पहले अपनी कड़े से कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज करा देते हैं परंतु राजधानी के RKDF जैसे प्रख्यात कॉलेज में लगातार एक साल तक रैगिंग चलने का मामला उजागर हुआ और कांग्रेस चुप बनी हुई है। क्या एनएसयूआई और क्या युवक कांग्रेस, किसी संगठन का नेता घर से बाहर नहीं निकला।

यह केवल एक आत्महत्या का मामला नहीं है, बल्कि इससे कहीं ज्यादा और बहुत ज्यादा है। मध्यप्रदेश की राजधानी के प्रख्यात कॉलेजों में चल रही रैगिंग का मामला है। रैगिंग भी इतनी क्रूर कि स्टूडेंट्स को मौत ज्यादा आसान लगने लगे तो इससे ज्यादा अराजकता का माहौल और क्या हो सकता है।

इस मामले में बीजेपी की स्टूडेंट यूनिट एबीव्हीपी चुप है यह समझ में आता है। अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाने का उपक्रम तो वो कर सकते हैं परंतु गंभीरतम मामलों में बीजेपी की खिलाफत ना तो एबीव्हीपी के बस की बात है और ना ही एबीव्हीपी के स्टेट सुप्रीमो बीडी शर्मा की। आखिर उन्हें भी कल अरविंद भदौरिया की तरह बीजेपी ज्वाइन करनी है, विधायक बनना है या फिर प्रभात झा या मौर्य की तरह बैकडोर एंट्री लेकर पॉवर प्ले खेलना है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि एनएसयूआई, युवक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष सब के सब इस मामले में चुप क्यों है। क्या पूरी की पूरी कांग्रेस RKDF कॉलेज प्रबंधन के हाथों गिरवी पड़ी हुई है। यहां उन्हें लोकतंत्र की हत्या और शिक्षा के मंदिरों में अराजकता दिखाई क्यों नहीं दे रही। क्यों कांग्रेस अनीता के हत्यारों का साथ दे रही है। बस एक औपचारिकता के लिए कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीसी शर्मा ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरना दिया। कॉलेज प्रबंधन जिसकी लापरवाही के चलते 1 साल से रैगिंग चलती रही, के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत किसी ने नहीं की। 

सवाल है और किया जाना चाहिए, क्योंकि यदि शिवराज के 9 साल से शासनकाल में कहीं कोई गलत काम हुआ है तो उसके पीछे जिम्मेदार विपक्ष भी है जो मुद्दों को ठीक से उठा ही नहीं पाते। बस जहां से लाभ नहीं मिलता, वहां चीखते दिखाई देते हैं। RKDF रैगिंग काड इसका जीताजागता उदाहरण है।

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