उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा के 'अतिथि सांसद' कमलनाथ मध्यप्रदेश के 'अतिथि सीएम' बनना चाहते हैं। मध्यप्रदेश का सीएम बनने की इच्छाएं एकबार फिर हिलोरे लेने लगीं हैं। सनद रहे कि 2008 के चुनावों में भी कमलनाथ को खुद में सीएम नजर आता था।
सनद रहे कि दिवंगत संजय गांधी के मित्र कमलनाथ को स्वर्गवासी इंदिरा गांधी ने यह कहते हुए छिंदवाड़ा कांग्रेस के हवाले किया था कि देखना कहीं गांधी परिवार की किरकिरी ना हो जाए।
तब से लेकर आज तक छिंदवाड़ा की कांग्रेस कमलनाथ को केवल इसी गांधी परिवार का मान रखने के लिए जिताती आ रही है। इतना ही नहीं यही वजह रही कि भाजपा हाईकमान ने भी कभी कमलनाथ के सामने किसी लोकप्रिय नेता को नहीं लड़ाया और एक प्रकार से औपचारिक फाइट दिखाकर आसान जीत सौंपी है।
मैं व्यक्तिगत रूप से कमलनाथजी को मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा का 'अतिथि सांसद' पुकारता हूं। वैसे कमलनाथ जी का छिंदवाड़ा में आचार व्यवहार भी ऐसा ही है। हालांकि इस बार मंत्री बनने के बाद उन्होंने सबसे ज्यादा काली सड़कें छिंदवाड़ा की ओर ही मोढ़ दी थीं परंतु इससे पहले उनका ऐसा छिंदवाड़ा प्रेम कभी दिखाई नहीं दिया। सुना तो यह भी है कि कमलनाथ तो छिंदवाड़ा के कांग्रेसियों तक पर भरोसा नहीं करते और चुनाव में उनके वेतनभागी संविदा कर्मचारी प्रचार कार्य करते हैं।
2008 में कमलनाथ के कुछ पत्रकार दोस्तों ने उन्हें मशवरा दिया कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस लावारिस है, मौके का फायदा उठाइए। हाईकमान से नजदीकी के चलते कमलनाथ ने यह कोशिश भी की, लेकिन बैतूल का उपचुनाव तक नहीं जीत पाए। मध्यप्रदेश में अपना नेटवर्क बनाने के लिए उन्होंने कुछ करोड़ खर्च भी किए परंतु बात नहीं बनी।
अब 2013 में चुनाव को बस चार ही महीने बचे हैं और कोई कमलनाथ का नाम ही नहीं ले रहा। अत: उन्होंने खुद ही अपना नाम सामने करवा दिया। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने खुदसे सवाल करवाया और खुद ही जवाब दिया कि यदि गांधी परिवार चाहेगा तो वो सीएम बनने को तैयार है।
अपने राम तो केवल यही कहते हैं कमलनाथ जी, गांधी परिवार की इच्छा से 'अतिथि सांसद' बन गए इतना ही बहुत है। सीएम के सपने मत देखो, और यदि अपनी लोकप्रियता का इतना ही गुमार हो गया है तो शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयर्गीय, लक्ष्मीकांत शर्मा, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव या इस स्तर के किसी भी नेता के विरुद्ध चुनाव लड़कर दिखाओ।
दूध का दूध और....।
