मध्यान्ह भोजन से शिक्षको को मुक्त रखने की मांग

अनूपपुर। म.प्र. के विकास पुरूष कहे जाने वाले मुख्यमंत्री से म.प्र. शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ने विद्यालयों में चल रहे मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम से शिक्षकों को पूर्णत: मुक्त रखने के लिये ज्ञापन प्रेषित कर आग्रह किया है जो शिक्षकों को गुरू कहे जाने का दर्जा बने रहे, जिसके लिये शिक्षकों को माध्यान्ह भोजन कार्यक्रम से दूर रखा जाये।

म.प्र. शास. प्राथमिक एवं पूर्व माध्य. शिक्षक संघ के प्रान्ताध्यक्ष मान्धाता प्रसाद मिश्र की अगुवाई में संघ के पदाधिकारियों ने मांग की है कि मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का संचालन पूर्णत: स्वसहायता समूहों द्वारा किया जाता है। समूह वहीं व्यक्ति चलता जो गांव के दबंग व्यक्ति है तथा राजनीति से जुड़े है वे अपनी मनमानी पूर्वक कार्यक्रम का संचालन करते है। रसोईयों की नियुक्ति भी उन्ही के अनुरूप की जाती है।

कुल मिलाकर समूह व रसोईया एक ही है, मात्र चावल का उठाव कूपन द्वारा किया जाता है जो विद्यालय के शिक्षकों द्वारा किया जाना चाहियें किन्तु समूह के व्यक्ति स्वयं को कूपन प्राप्त कर चावल भी लाते है, मात्र शिक्षक बच्चों की उपस्थिति देता है उसमें भी समूह का विशेष दवाब रहता है। यदि शिक्षक उनकी बात ने माने तो राजनीति का सहारा लेकर शिक्षकों की ङाूठी शिकायत या अन्य षड्यंत्र में फंसा देने का ङाासा देकर अपना कार्य पूर्ण करते है।

 क्योकि समूह के लोगो को पता है कि पूर्ण जिम्मेदारी शिक्षकों की है और कार्यवाही भी शिक्षक के ऊपर होगी, और यदि कुछ हुआ भी तो हम दूसरे समूह के नाम से कार्य करेगें। जिसके कारण म.प्र. शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्य. शिक्षक संघ ने ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री से मध्यान्ह भोजन से शिक्षकों को मुक्त रखने के लिये  कहा है।

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