विश्वास सारंग/भोपाल। सत्ता से बेदखल कांग्रेस के नेता सपने देखने की स्पर्धा में लगे हुए है। हाल ही में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के लिए अपनी इच्छा जाहिर की है वह कांग्रेस में नई बात नहीं है। दिग्विजय सिंह ने पहले ही कांग्रेस की कुंडली लिख दी है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस अंतिम सांस पर है। ऐसे में कमलनाथ की हसरतें दिवा स्वप्न ही साबित होगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता और समाज में बढ़ते जनाधार से स्पष्ट हो चुका है कि भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ऐतिहासिक जीत हासिल करेगी। ऐसे में कांग्रेस नेताओं के एक के बाद एक मुख्यमंत्री बनने को लेकर जो इच्छाएं जग जाहिर हो रही है उससे लगता है कि कांग्रेस में काल्पनिक अनार के सौ बीमार है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस पूरी तरह आपसी फूट और खींचतान में भरी हुई है। हर दूसरा नेता मुख्यमंत्री के ख्वाब पाले हुए है, लेकिन हकीकत कोसो दूर है। मुख्यमंत्री तो दूर कांग्रेस मध्यप्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव में अपना जनाधार बचाने में भी कामयाब नहीं होगी। कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी की ओर से जनता के हाथों मुंह की खानी पडेगी। दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय सिंह और कांग्रेस प्रदेष अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया भी कमलनाथ की तरह सपने संजोए हुए है जिसे जनता कभी पूरे होने नहीं देगी।
- लेखक भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एवं मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य हैं।