भोपाल। इसकी संभावना पर भी विचार नहीं किया जा सकता कि दिग्विजय सिंह कभी कांग्रेस से अलग हो सकते हैं परंतु इन दिनों संकेत कुछ शुभ दिखाई नहीं दे रहे हैं। दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी के बीच तकरार बढ़ती जा रही है और अब यह तीखी तकरार में बदलने लगी है।
उत्तरप्रदेश चुनावों में राहुल गांधी के पॉलिटिकल गुरू बनकर सामने आए दिग्विजय सिंह यूपी चुनाव के नतीजों के साथ ही गांधी परिवार की नजरों में चौथे दर्जे के नेता बनकर रह गए हैं। विशेष रूप से राहुल गांधी तो उन्हें कतई पसंद नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि गांधी परिवार की ओर से मध्यप्रदेश में सिंधिया और कमलनाथ को हाइट दी जा रही है।
यूपी के बाद अब मध्यप्रदेश की राजनीति को लेकर दोनों के बीच मतभेद उभरे हैं। दिग्विजय सिंह राहुल गांधी के उस बयान से भी खफा हैं जिसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा था कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेताओं के बीच की खींचतान के चलते पार्टी को नुकसान हो रहा है। राहुल गांधी को लिखी दिग्विजय सिंह की चिट्ठी से मीडिया में कई तरह की अटकल लगाई जा रही है। यह कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह राहुल गांधी के अब उतने करीबी नहीं रहे। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह की रणनीति पर राहुल गांधी ने भरोसा किया था। लेकिन जब नतीजे आए तो कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी बनी रही।
मोदी के साथ डिनर करना चाहते हैं दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा है कि अगर गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ उन्हें रात के खाने पर बुलाया जाए तो उन्हें कोई एतराज नहीं होगा। दिग्विजय सिंह मोदी के आलोचक हैं और उन्हें 'फेंकू' बताते हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके बीजेपी और आरएसएस के नेताओं से बहुत अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन दिग्विजय सिंह का कहना है कि निजी रिश्तों और राजनीतिक सिद्धांत में फर्क होता है। राजनीति में खराब लोगों को हटाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को चुनावों में वोट के जरिए हटाया जा सकता है।