नपा चुनाव: पूर्व अध्यक्षों ने रबर स्टाम्प उतारने के लिये कसी कमर

राजेश शुक्ला/अनूपपुर। विधानसभा चुनाव के पहले अनूपपुर नगरपालिका के चुनाव की तिथि घोषित होते ही राजनैतिक दलों की आपाधापी चालू हो गई है। सभी दल अभी तक इस असमंजस में थे कि नगरपालिका चुनाव समय सीमा पर नहीं होंगे। यह विधानसभा चुनावों के बाद होंगे।

इसी के चलते सभी दल निश्चित थे किंतु चुनाव आयोग द्वारा नगरपालिका चुनाव की तिथि घोषित कर दी और दलों के तिथि घोषित होने के बाद पर्याप्त समय नहीं मिल रहा है। इसी समय सीमा में अपने प्रत्याशी तय कर इन्हें मैदान में उतारना है और 16 सितम्बर को मतदान होगा। अभी तक सबसे बडे राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के नाम नहीं तय कर पाये हैं। 

दोनों ही दलों के पास पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों का टोंटा बना हुआ है। एैसा कोई व्यक्ति इन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि नपा चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव के लिये नजीर पेश कर सकें। यह चुनाव विधानसभा चुनाव के पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है। जिस दल को नपा अनूपपुर की कुर्सी हासिल होगी उसी से विधानसभा चुनाव का फैसला भी माना जा रहा है।

दोनों महत्वपूर्ण राजनैतिक दल इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगायेंगे। ताकि इसका असर विधानसभा में देखने को मिलेगा। सत्तादल भाजपा ने इस चुनाव को हल्के से नहीं लेने वाला है। कारण  २०१४ प्रारंभ में ही जिले के जैतहरी नगरपरिषद चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी । अब इसे वह दोहराना नहीं चाहेंगे और प्रत्याशी चयन में फूंक-फूंक कर कदम रखेंगे। अब तक प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में कई नाम सामने आये हैं इसके साथ ही चार नेताओं के  चार नाम हैं। पार्टी को यह तय करना है कि वह किस नेता के कहने पर चल रही है या पार्टी निर्णय जनाधार वाले व्यक्ति को प्रत्याशी बनाती है।

प्रत्याशियों में राजेश पटेल, छोटे लाल पटेल, हरिओम ताम्रकार के नाम प्रमुख है। इसके लिये पार्टी में अंदरूनी कलह मची हुई है। हरिओम ताम्रकार के लिये पूर्व विधायक रामलाल रौतेल ने जोर लगा रखा है तो छोटेलाल पटेल के लिये पूर्व नपा अध्यक्ष और राजेश पटेल के लिये गजेन्द्र सिंह ने ताल ठोंक रखी है कि अध्यक्ष का प्रत्याशी इन्हें बनाया जाये। इसे लेकर पार्टी शनिवार को होटल गोविंदम में बैठकों का दौर चल रहा है जिसमें पार्टी ने नौ वार्डो के लिये पार्षद का नाम एकमत से तय कर लिया है। छ: वार्डो के लिये घमासान जारी है। इसी तरह से अध्यक्ष पद के लिये अभी तक कोई एकमत नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते इसका फैसला अभी आना बाकी है कि पार्टी से किसे इस पद के योग्य  माना जाये।

भाजपा के पास प्रत्याशी का टोटा तो है ही इसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता यह चाहते हैं कि हम जिनका नाम सुझा रहे हैं पार्टी उसे टिकट दें कारण यह कि यह नेता उसी व्यक्ति का नाम दे रहे हैं जो इनकी जेबों मे रहकर कार्य करे या यूं कहे कि वह इन नेताओं का रबर स्टाम्प बनकर रहे। जिससे इन नेताओं के पूर्व में नपा में किये गये कार्य की जांच ना होने पाये। वैसे भी भाजपा के लिये अच्छा मौका है कि पिछले पांच वर्षो में कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा किये गये भ्रष्टाचार और विकास का मुद्दा बनाकर मैदान में आना चाहिए। किंतु भाजपा के ये नेता अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हैं। जिस कारण से पार्टी को अध्यक्ष तय करने में पसीना आ रहा है।

वहीं सूत्र यह भी बताते हैं कि अगर पार्टी में उनके व्यक्ति को प्रत्याशी नहीं बनाया तो वह बागी खड़ा करेंगे। अगर एैसा है तो पार्टी कड़े निर्णय लेकर इन नेताओं को किनारे कर एक अच्छे और योग्य उम्मीदवार जनता के बीच उतारना चाहिए ताकि इन नेताओं को यह सबक मिल सके कि पार्टी से बड़ा व्यक्ति नहीं होता है। अगर भाजपा उन अपने आप में बड़े नेताओं के कहने पर उनके रबर स्टाम्प को प्रत्याशी बनाती है तो पार्टी के लिये यह घातक भी हो सकता है। विधानसभा चुनाव में इसका असर रहेगा। और जनता भी इन नेताओं से ऊब चुकी है। वह भी बदलाव की बयार में बह रही है । कहीं एैसा ना हो कि इस बयार में दोनों  ही दल का किनारे कर तीसरे व्यक्ति  को कुर्सी मिल जाये।

कांगे्रस की भी स्थिति संतोष जनक नहीं है। पिछले कार्यकाल पर अगर नजर डालें तो कोई खास नहीं रहा है। विकास के नाम पर उन मतदाताओं को रिझाने के लिये जिन्हें आज सभी दल लगे हैं उनके मुहल्लों में गुणवत्ता विहीन चंद सीमेंटेड सड़कें जो आज पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं। चुनाव के समय किये गये विकास के वादे के साथ सत्ता में पहुंचे। कांग्रेस के अध्यक्ष अपने ही घर के सामने स्थापित सामुदायिक भवन जो आज अपने दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। विकास के नाम पर स्वयं के  घर के सामने चौरहे में सीमेंटेड सड़क सौंदर्यीकरण की सडक के अलावा कुछ जगह इसीतरह के कार्य हुये है, किंतु पूरे नगर में इनका विकास नहीं दिखाई दे रहा है।

विकास के नाम पर इन्होंने १ से ८ वार्ड तक सीमित रहे। बाकी वार्डो से इनका कोई सरोकार नहीं रहा और यह भी चाहते हैं कि इस बार इन्ही के बताये व्यक्ति को कांग्रेस से प्रत्याशी बनाया जाये। ताकि पिछला किया हुआ कार्य को आसानी से दबाया जा सके। और अगर कांग्रेस यह करती है तो कांग्रेस के लिये महंगा साबित हो सकता है। कांग्रेस भी उम्मीदवारों का चयन ठीक ढंग से नहीं कर पा रही है। कांग्रेस से उम्मीदवारों मेें पूर्व पार्षद योगेन्द्र राय, अनिल पटेल, रामखेलावन राठौर के बीच पार्टी को अपना प्रत्याशी बनाना है, जिसमें पूर्व पार्षद योगेन्द्र राय का पलडा भारी दिख रहा है जिनके साथ नगर का व्यापक जन समर्थन है। दूसरे प्रत्याशी अनिल पटेल जिनका अपने समाज में समर्थन है एवं तीसरे प्रत्याशी रामखेलावन राठौर पूर्व नपा अध्यक्ष के प्रत्याशी माने जाते हैं। जिनका अपने समाज के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी पहचान है।

इसके साथ ही इनके साथ पूर्व नपा अध्यक्ष का समर्थन इसलिये है कि यह उनके  रबर स्टाम्प बन सकते हैं। जिससे वे अपने किये गये कार्याे पर पर्दा डलवा सकते हैं। दोनों ही दलों के पूर्व अध्यक्षों को नगर के विकास से कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है। सिर्फ अपने स्वार्थ सिद्धि को लेकर चलने वाले ये नेता किसी के सगे नहीं होंगे। वैसे भी अनूपपुर विधायक बिसाहूलाल सिंह को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नपा चुनाव के समाप्त होते ही विधानसभा चुनाव की घोषणा  हो जायेगी और अगर किसी के कहने पर रबर स्टाम्प प्रत्याशी बनाया तो हालात कुछ और होगा। 

विधायक श्री सिंह को चाहिए कि जैसे उन्होंने नगर पंचायत जैतहरी के लिये प्रत्याशी चयन किया ठीक उसी तरह अन्य बातों को दर किनार करते हुये एक योग्य उम्मीदवार को प्रत्याशी बनायें ताकि उन्हें हार का मुंह ना देखना पडे। अन्यथा यह हार विधानसभा मे भारी पड सकती है। गत दिनों अध्यक्ष के लिये पार्टी द्वारा कराए गये मतदान में पूर्व अध्यक्ष व इनके समर्थकों ने इसका विरोध भी किया और मतदान मेें हिस्सा नहीं लिया। इस बात को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। एैसे लोगे जो पार्टी गाइड लाइन से हटकर जा रहे हैं उन्हें पार्टी का टिकट देने का कोई अर्थ नहीं निकलता है। यह निर्णय अब पार्टी को ही लेना है। वैसे भी विधायक ने गत दिनों बैठक में दो टूक शब्दों में यह बात स्वीकार की थी कि नगरपालिका में बाबूजी जैसा बेदाग व्यक्ति मिले । जिनके कार्यकाल मेें कोई भ्रष्टाचार नहीं रहा। हमें एैसे व्यक्ति को ही अध्यक्ष बनाना चाहिए जो अपने पूरे कार्यकाल में बेदाग रहकर पार्टी की छवि सुधार सके।



दोनों ही दलों के नेता अपने-अपने रबर स्टाम्प व्यक्ति को अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाने के लिये जीतोड मेहनत कर रहे हैं कि हमारे बताये व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जाये अन्यथा पार्टी से बगावत कर अपने-अपने  प्रत्याशी को उतारकर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देकर पार्टी के लिये मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। इसके लिये दोनों ही दलों से इन नेताओं को सजग  रहकर इन नेताओं को सबक सिखाना चाहिए।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!