राज्य के गठन के समय 12 अन्य संवर्गों के समकक्ष यह संवर्ग उपेक्षित होकर आज वेतनमान और पदोन्नति अवसरों के मामले में सबसे निचले पायदान पर है। सिंहदेव समिति की अनुशंसा पर असंगत् और अन्यायपूर्ण तरीके से संवर्ग विभाजन कर सचिवालयीन स्टेनोग्राफर्स को तत्कालीन सरकार ने केवल वेतनमान बल्कि पदोन्नति अवसरों का लाभ भी पहुंचाया।
ब्रम्हस्वरूप समिति के प्रतिवेदन और साप्रवि, मंत्रालय के अक्टूबर,2006 द्वारा जारी आदेष से यह स्वतः पुष्ट है । तकनीकी दक्षता रखने वाले इस संवर्ग को तकनीकी संवर्ग के रूप में अब तक स्वीकारा नहीं गया । पदोन्नति अवसरों के मामले में यह संवर्ग लिपिकीय संवर्ग से भी गया-गुजरा है । शायद कम संख्या होने और हड़ताल-प्रदर्षन का सहारा न लेने, निष्ठापूर्वक अपना काम करते रहने का दण्ड उपेक्षा के रूप में इस संवर्ग को उठाना पड़ रहा है ।
वर्षों से उपेक्षित रहे इस संवर्ग की ओर से प्रदेष के कर्मचारीहितैषी मुख्यमंत्री से यही अपील है कि, कर्मचारियों के वेतनमान और पदोन्न्नति अवसरों की विसंगतियों का निराकरण करते हुए प्राकृतिक न्याय सिद्धान्त और मानवीय दृष्टिकोण से इस सबसे छोटे कर्मचारी संवर्ग के प्रति न्याय अवष्य करें, ताकि आपकी सहृदयता और न्यायप्रियता इस संवर्ग के सभी कर्मचारियों और उनके परिजनों के दिल-दिमाग में बनी रहे ।
गैर-सचिवालयीन स्टेनोग्राफर्स संघ, जिला-होशंगाबाद की ओर से ...