रिजाइन करके सीधे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे प्रशासनिक अफसर: नए नियम की तैयारी

भोपाल। सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति का दामन थामने वालों की राह आसान नहीं है। चुनाव आयोग ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है, इसमें नौकरी छोड़ राजनीति में जाने वाले अफसरों के लिए कूलिंग अवधि (यानी लोक सेवा से राजनीतिक जीवन में आने की अंतराल अवधि) तय करने को कहा है।

बताया जाता है कि आयोग के इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार नए नियम बनाने पर विचार कर रही है। इसके तहत प्रथम श्रेणी अधिकारी सेवा छोड़ने के तत्काल बाद चुनाव में अपना भाग्य नहीं आजमा सकेंगे। यदि यह नियम मप्र में आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले लागू हो जाते हैं तो उन अधिकारियों को झटका लगेगा जो किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो गए हैं या इसकी तैयारी में हैं। दरअसल, चुनाव आयोग ने यह कवायद इसलिए की, ताकि चुनाव में सभी उम्मीदवारों को समान मौका मिल सके।

कुलिंग ऑफ के संबंध में चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश कार्मिक मंत्रालय को भेज दी है। चूंकि मामला अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियो से जुड़ा हैं, इस पर अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है।
एसके मेहंदीरत्ता
विधि, सलाहकार चुनाव आयोग


क्या है नियम?

मौजूदा नियमों के मुताबिक सरकारी अधिकारी के इस्तीफा देने के बाद कम से कम एक साल तक किसी प्राइवेट नौकरी करने पर पाबंदी है। मगर, उनके किसी राजनीतिक दल में शामिल होने या सक्रिय राजनीति में आने के बारे में कोई नियम नहीं है। प्रशासन को व्यापारिक स्वार्थो से दूर रखने के इरादे से ही यह नियम बनाया गया था।  गौरतलब है कि बीते दिनों वरिष्ठ आईपीएस अफसर हरिसिंह यादव और रमेश शर्मा ने वीआरएस लेकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।

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