यहां हो गया है खनिज अधिकारी और माफिया का गठबंधन, खजाने को चपत

हबीब सिद्दीकी/रायसेन। रायसेन जिले में माईनिंग अधिकारी के इशारे में जिले भर में जमकर अवैध उत्खन्न किए जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। खनिज माफियों ने  पहले सरकारी भूमि पर जमकर अवैध उत्खन्न कर चांदी काटी  अब खनिज माफियों की नजर  जिले में बहने वाली नदियों पर पड़ गई है जहां बारिश में उफान पर आई नदियां अपने साथ रेत-कोपरा लेकर आई है खनिज माफियों की नजर अब उस पर है।

मुख्यालय के समीपस्थ ही ग्राम पग्नेश्वर बेतवा नदी में दर्जनों ट्रालियों से  रेत-कोपरा निकाला जा रहा है। वहीं समीपस्थ ग्राम परसौरा में अवैध रूप से पत्थर की खदान से पत्थर निकालने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है जबकि अभी उसका अनुबंध निष्पादन नहीं हुआ है उसके बाद भी खनिज अधिकारी की मिलीभगत से यहा अवैध रूप से फर्शी पत्थर निकाला जा रहा है। जबकि देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने उत्खन्न की गाइड लाइन तय कर दी है और इसके तहत पर्यावरण विभाग से  उत्खन्न की अनुमति लेना अनिवार्य है। लेकिन जिले में सत्ताधारी दल के रसूखदार नेता जिनकी पहुंच सीएम निवास तक मानी जाती है उनके और खनिज विभाग की मिलीभगत से जमकर चांदी काट रहा है।

अवैध खनिज से सरकारी निर्माण

मुख्यालय पर निर्माणाधीन शासकीय कार्यों एवं निजी कालोनियों सहित पशु चिकित्सालय में भी जमकर अवैध रूप से लाई गई मुरम कोपरा का इस्तेमाल किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो खनिज विभाग के अफसरों ने खनिज माफियों को चंद सिक्कों के खातिर मौन स्वीकृति दी है जिससे माफिया अवैध उत्खन्न कर चांदी काटने में लगे हुए है और खुलेआम कहते फिरते है कि चुनाव का वर्ष है चंदा भी तो देना है। ऐसे ही मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम पठारी से  ग्राम  कुदवाई मार्ग को भी एक सत्ताधारी दल के रसूखदार नेता द्वारा जमकर खोदा जा रहा है।  या यू कहें पूरी पहाड़ी ही खोद दी गई है।  जिसमें वन विभाग और राजस्व की भूमि है जिसमें अवैध रूप से उत्खन्न का सिलसिला जारी है।

नर्मदा नदी में जारी अवैध उत्खन्न

जिले के बौरास,अलीगंज सहित नर्मदा नदी के घाट पर खनिज माफियों द्वारा अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। बारिश के चलते नदी में फिर दोबारा रेत आई है जिससे अवैध रूप से खनिज माफियों द्वारा बारिश का पानी रूकने पर  निकाला जा रहा है। वहीं कुछ खनिज माफिया नदी का रास्ता मोडऩे में भी परहेज नहीं कर रहे है।
जंगलों में चल रहे भट्टे: नियमों के अनुसार वन भूमि से दो सौ मीटर दूरी पर उत्खन्न एवं भट्टे  की अनुमति दी जाती है लेकिन जिले में ज्यादातर भट्टे सत्ताधारी दल के रसूख वाले  नेताओं द्वारा चलाए जा रहे है और हद तो जब हो जाती है जब उत्खन्न और भट्टे बिना किसी रोकटोक के वन भूमि में धड़ल्ले से चल रहे है। ऐसा नहीं है कि इसकी भनक वन विभाग को ना हो परन्तु माफियों के डर या रसूख के चलते कोई छोटा कर्मचारी इन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं दिखाता और बड़े और जिला स्तर के अधिकारी को घर बैठे उनका हिस्सा पहुंच जाता है और ऐसा नहीं तो क्या कारण है कि वर्षों से ग्राम पठारी में वन भूमि में चल रहे अवैध उत्खन्न पर कोई अंकुश नहीं लग सका है।  इसके साथ ही कई खनिज माफियों द्वारा अवैध रूप से अपने अपने भट्टे नदी नाले के पास लगाए हुए है। मुख्यालय के पास पठारी  खरबई,मानपुर,परसौरा सहित अन्य स्थानों पर जमकर वन भूमि में अवैध उत्खन्न एवं भट्टे चल रहे है।

अप-डाउन बना जांच में रोड़ा

जिले में पदस्थ प्रभारी खनिज अधिकारी प्रतिदिन शासकीय जीप या निजी वाहन से मय दो कर्मचारियों के साथ भोपाल अप-डाउन करते है देर से आना जल्दी जाना उनकी नियति बन गई है। जिस कारण सूचना मिलने पर भी कोई कार्रवाई नही हो पाती।

विभागों में उलझा मामला

ग्राम पठारी हल्का नम्बर 24 के खसरा क्रमांक 2 के चरोखर निस्तार की भूमि पर सत्ताधारी दल के नेता के परिवार द्वारा विगत कई वर्षों से जमकर मुरम,पत्थर,भसुआ एवं ईंट का अवैध कारोबार किया जा रहा है। इस संबंध में खनिज अधिकारी प्रदीप तिवारी कार्रवाई का आश्वासन तो देते है पर हिम्मत नहीं जुटा पाते। ऐसे ही रायसेन वन परिक्षेत्र अधिकारी श्री श्रीवास्तव का कहना है कि मामला राजस्व और वन विभाग के बीच उलझा है इसलिए कार्रवाई नही हो पाती जबकि सूत्रों की माने तो माफिया से महिने पर मिलने  वाली एक निश्चित रकम के तले उक्त दोनों अधिकारी दबे नजर आते है।

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