भोपाल। जमानत पर जेल से बाहर आते ही मध्य प्रदेश के पूर्व वित्तमंत्री राघवजी फिर भाजपा में अपनी जगह बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र बुधनी से ही टिकट पर दावा ठोक दिया है।
जिस तरह से पार्टी ने आसाराम बापू का बचाव किया है, उसे देखते हुए राघवजी भी भाजपा में अपनी वापसी के लिए दबाव बनाने लगे हैं।
करीबियों का मानना है कि वह अपनी बेटी ज्योति शाह के टिकट पर भी मान सकते हैं। उनकी बेटी अभी विदिशा नगरपालिका की अध्यक्ष हैं।
राघवजी ने रविवार को विदिशा के एक कार्यक्रम में कहा था कि उनका विदिशा सीट पर पट्टा नहीं है, उन्हें प्रदेश में कहीं से भी टिकट दिया जाए। अगर मुख्यमंत्री चाहें तो वह बुधनी से भी चुनाव लड़ लेंगे।
राघवजी ने याद दिलाया कि उन्होंने 56 वर्ष तक पार्टी के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता के तौर पर काम किया है लेकिन उन्हें जिस तरह से पार्टी से निष्कासित किया गया, वह पार्टी के संविधान के अनुरूप नहीं था।
उनके मुताबिक निष्कासन की जरूरत ही नहीं थी क्योंकि उन पर लगे आरोपों पर कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया था। राघवजी ने संकेत दिए कि वह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। वह भाजपा नेताओं को यकीन दिलाने में लगे हैं कि उनका निष्कासन गलत तरीके से हुआ है। अब पार्टी जिस तरह से आसाराम के बचाव में उतर आई है, राघवजी के समर्थकों में भी उम्मीद पैदा हो गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कैंप के भी कुछ नेताओं ने राघवजी से संपर्क किया है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के करीबी रामपाल सिंह ने कुछ दिनों पूर्व राघवजी से मुलाकात की थी।
विदिशा की राजनीति को जानने वालों का कहना है कि शिवराज खेमा राघवजी की बेटी को टिकट देकर उन्हें चुप कराने की रणनीति अपना सकता है।
राघवजी ने रविवार को विदिशा में अपने समर्थकों द्वारा रखे गए स्वागत कार्यक्रम के दौरान मशहूर फिल्मी गीत की पंक्तियां भी सुना डालीं- ‘दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है, उम्र भर का हमें इनाम दिया है।’
जब उनसे पूछा गया कि वो कौन से दोस्तों की तरफ इशारा कर रहे हैं तो उनका कहना था कि वे अपने विरोधियों को भी दोस्त मानते हैं और जिसने शिकायत की वो भी उनके घर में ही रहता था। विदिशा की राजनीति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और राघवजी को परस्पर विरोधी धड़े का माना जाता है।