और ममता पर नजरुल का वार

राकेश दुबे@प्रतिदिन। ममता बनर्जी जी हाँ ! पश्चिम बंगाल की मुख्मंत्री और उनके दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ उनके ही राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक [भारतीय पुलिस सेवा १९८१ बैच] और लेखक डॉ. नजरुल इस्लाम ने  आपराधिक मुकदमा दर्ज़ करा  दिया है |
मुख्यमंत्री ने नजरुल की जिस किताब को लेकर बवेला मचाया था , उसे भी पश्चिम बंगाल के पब्लिकेशन पंजीयक ने क्लीन चिट दे दी है | यह तो इस लड़ाई का सार्वजनिक पक्ष है, अंदर खाने  की बात तो और भी गम्भीर है |

ममता बनर्जी और तुनकमिजाजी एक दूसरे के पर्याय है | नजरुल इस्लाम को दिल्ली और विशेष कर रेलवे के सारे  दरवाजे दिखने का श्रेय भी उन्ही को है | वे नजरुल इस्लाम को अपने साथ रेलवे में ले गई थी | रेलवे में जब नजरुल ने वह सब देखा जो भ्रष्टाचार और गम्भीर आपराधिक षड्यंत्र था | उन्होंने जब इसका विरोध किया तो कुछ और लोगों के साथ ममता जी ममता ने उनका साथ ही नहीं छोड़ा बल्कि ममता जी की दुश्मनों की सूची एक नाम और जुड़ गया |

डॉ नजरुल इस्लाम ने पश्चिम बंगाल के राजनीतिक दलों द्वारा मुसलमानों से चुनाव पूर्व किये गये  वादों और वर्तमान में मुसलमानों की स्थिति पर एक किताब लिखी और नया-पुराना हिसाब चुकाने के लिए सरकार ने इस किताब को हथियार बनाया | सरकार का वार खाली गया  तो उसने दूसरे तरीके निकाले | यह भी नाजायज थे | अब नजरुल इस्लाम की शिकायत पर कोलकाता की हेयर स्ट्रीट पुलिस  जाँच कर रही है | ममता बनर्जी के साथ मुख्य सचिव संजय मित्रा और गृह सचिव वासुदेव बंदोपाध्याय का नाम भी शिकायत में है | वैसे नजरुल इस्लाम पहले पुलिस अधिकारी नहीं है. इसके पूर्व दयमन्ती सेन और पंच नंदा भी ममता की नाराजी भोग चुके हैं |


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