राजनीतिक सहजीवन की मिसाल बन गई चौरासी कोस की यात्रा

राकेश दुबे@प्रतिदिन। चौरासी कोस की यात्रा मोक्षदायिनी कही गई है | किसी को मोक्ष मिलेगा या नहीं इसका दावा कोई नहीं कर सकता , लेकिन यह बात आज दावे से कही जा सकती है की इससे भजपा और सपा को  सहजीवन का एक फार्मूला मिल गया है | दोनों अपने-अपने वोट बैंक के आधार को इस आधार पर मजबूत करने निकल पड़ेगे और यह सहजीवन 2014 में बनने वाली देश की सरकार को एक नया आयाम देगा |

रात ७.३० बजे किसी न्यूज़ चेनल ने समाचार दिया है की सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने कहा है कि वे  राममन्दिर  के निर्माण में मदद करेंगे | विश्व हिन्दू परिषद  और भाजपा को इससे अधिक और चाहिए भी क्या था ? २०१४ के चुनाव में उत्तरप्रदेश की हिन्दू और मुस्लिम सीटों पर होने वाले असर को कांग्रेस भांप गई थी और उसने कहना शुरू कर दिया था की यह यात्रा मैच फिक्सिंग की तरह हो रही है |

मुलायम सिंह प्रधानमंत्री के सपने देख रहे हैं और इसके लिए उन्हें कांग्रेस और भाजपा से समान दूरी चुनाव तक तो रखना पड़ेगी | यह उसकी रिहर्सल थी | भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद के लिए आन्दोलन का नया आयाम खोल कर उन्होंने  भाजपा को अन्य राज्यों में मत  जुटाने का मौका दे दिया है | साथ ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने फिसलते मुस्लिम वोट को सम्भाला है |

यह यात्रा कब हो ? कैसे हो ? और कौन करे ? यह धर्माचार्यों का विषय है | बहुत से मत है, लेकिन आज तो सब इस बात पर एक मत दिखाई दे रहे हैं कि भाजपा और सपा ने एक अदृश्य कदम साथ बढ़ाया है |


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