राकेश दुबे@प्रतिदिन। सीमा पर लगातार गोली चल रही है | एक तरफा | यह दावा उन लोगों का है , जो पिछले एक सप्ताह से निरंतर यह सोच रहे है की भारत सरकार को क्या हो गया है ? अपनी-अपनी तरह से समाधान भी तलाश रहे है | सारे समाधानों से एक ही बात छनकर आ रही है |
पाकिस्तान से रिश्ते तोड़े या जोड़े | भारत और पाकिस्तान के बीच जन्म से अपने-अपने राष्ट्रवाद को अपनी तरह कायम रखने की प्रतिस्पर्धा है | भारत अपनी और से और दूसरे राष्ट्रों के कहने पर अनेक वार्ता कर चुका है |
यह वार्ताओं के ये दौर जिन्ना से लेकर नवाज़ शरीफ की दूसरी बार वापिसी तक जारी है और नतीजा हमेशा पाकिस्तान की ओर से युद्धविराम का उल्लंघन है, क्योंकि पाकिस्तान में सेना की बात सरकार को और सरकार की बात सेना को समझ में नहीं आती | जरूरत बहुत दूर तक जाने की नहीं है | पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के काल में दो वार्ताओं का उल्लेख पर्याप्त है | पहला लाहौर घोषणापत्र नतीजा कारगिल युद्ध , फिर जनवरी २००४ आगरा वार्ता नतीजा भारी घुसपैठ |
हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री तो सैनिकों की हत्याओं पर भी चुप है |पता नहीं यह शांति कहाँ ले जाएगी? यहाँ एक सवाल भारतीय सेना से भी है, सवाल मेरा नहीं, मेरे एक मित्र पूर्व सेना अधिकारी फिर नागरिक सेवा अधिकारी का है | सीमा पर करोड़ो रूपये की लागत से की गई फेन्सिग का क्या हुआ ? उससे पाकिस्तानी कैसे अंदर आ रहे हैं | उनका सवाल अपनी जगह ठीक है और नागरिकों को उत्तर जानने का हक है | रिश्ते तोड़ने और जोड़ने के पहले यह विचार भी जरूरी है युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है, पर बारबार मुकरने वालों का इलाज भी जरूरी है और इस सबके लिए प्रधानमंत्री में दम चाहिए |
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
- संपर्क 9425022703
