विजय कुमार दास/भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आने की संभावना प्रबल हो गई है। यह भूचाल कहीं और नहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री पद की एक मजबूत दावेदार श्रीमती सुषमा स्वराज के लोकसभा क्षेत्र विदिशा में आयेगा।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दिग्विजय सिंह जैसे बड़बोले महासचिव के सूत्रों का ही दावा है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज को मात देने के लिए एक रणनीति बनाई गयी है जिसके तहत केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार अपनी परंपरागत सीट गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ेंगे। अब की बार सिंधिया को कहीं और नहीं विदिशा संसदीय क्षेत्र से सुषमा स्वराज के सामने मैदान में उतारा जायेगा।
कांग्रेस इस तरह के खेल पहले भी कर चुकी है, यह उदाहरण के लिए नहीं बल्कि इतिहास को दोहराने वाली राजनीति का हिस्सा है। आपको याद होगा किसी जमाने में कांग्रेस ने हिम पुत्र के नाम से प्रख्यात पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. हेमवतीनंदन बहुगुणा को पराजित करने के लिए 1984 में अभिनेता और आज के महानायक अमिताभ बच्चन को उतारा था और बहुगुणा उस चुनाव में बुरी तरह हार भी गये थे।
ऐसी ही स्थिति एक बार ग्वालियर में निर्मित हो गई थी जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को 1984 में पटखनी देने के लिये कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. माधव राव सिंधिया को मैदान में उतारा और अटल जी 68 प्रतिशत मतों से हार गये थे तथा बाद में लखनऊ से काफी समय बाद श्री वाजपेयी लोकसभा में पहुंच पाये। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रस्तावित प्रधानमंत्री पद की दावेदारी का विरोध पार्टी के अन्दर और बाहर दोनों को देखते हुए कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी को यह समझाइश दी है कि भाजपा में मोदी के बाद यदि कोई और विकल्प होगा तो सुषमा स्वराज का नाम जरूर सामने आयेगा।
ऐसी स्थिति में यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया को सुषमा स्वराज के सामने मैदान में उतारा गया तो कांग्रेस की जीत पक्की होगी और सुषमा स्वराज प्रधानमंत्री पद से काफी दूर हो जायेंगी तथा कांग्रेस को ही सहयोगी पार्टियां सरकार बनाने में मदद करेगी। इसलिए यह माना जाये कि कांग्रेस और दिग्विजय के टारगेट में सुषमा स्वराज नम्बर वन हैं तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। लेकिन यहां पर दिग्विजय की कूटनीति को भी उजागर करना उचित होगा।
दिग्विजय की कूटनीति यह है कि सिंधिया चुनाव जीतने के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति से बाहर ही बने रहेंगे और यदि हार गये तो उनका कैरियर स्थायी रूप से चौपट हो जायेगा। हालांकि विदिशा संसदीय क्षेत्र के राजनीतिक नुमाइंदों का मानना है कि यदि सिंधिया, विदिशा से संसदीय चुनाव लड़ेंगे तो उनकी जीत पक्की इसलिए होगी क्योंकि विदिशा महाराज ग्वालियर की रियासत का एक हिस्सा रहा है और सिंधिया घराने का अच्छा खासा प्रभाव अभी भी यहां पर है। सिंधिया के जीत का दूसरा कारण यह भी होगा कि उनका व्यक्तित्व आकर्षण से भरा हुआ है और चरित्र बेदाग है।
- श्री विजयकुमार दास राजधानी के प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक 'राष्ट्रीय हिन्दी मेल' के चीफ एडीटर हैं।