एस्मा हटाइए नहीं तो जारी रहेगी हड़ताल: जूनियर डॉक्टरों का एलान

भोपाल। स्टायपेंड में बढ़ोतरी का आदेश जारी होने के बाद भी जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया है। डॉक्टरों का कहना है कि राज्य सरकार अब भी डॉक्टरों पर एस्मा नहीं हटाने पर अड़ी है। ऐसे में हड़ताल जारी रहेगी।

वहीं, दूसरे दिन हड़ताल जारी रहने से हमीदिया व सुल्तानिया जनाना अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बिगड़ सकती हैं। शुक्रवार को हड़ताल की वजह से मरीजों को परेशान होना पड़ा। हमीदिया अस्पताल में सोनोग्राफी नहीं हो सकी और 13 ऑपरेशन भी टालने पड़े।

जूनियर डॉक्टर लंबे समय से स्टायपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इसको लेकर जुलाई में भी उन्होंने एक दिन की हड़ताल की थी। सरकार के आश्वासन के बाद भी इस पर अमल न होने से नाराज जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया था। शाम तक स्टायपेंड बढ़ाने का आदेश जारी भी हो गया, पर जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल वापस नहीं ली।

जूडा अध्यक्ष डॉ. आदर्श वाजपेयी ने बताया कि दो साल पहले जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉक्टरों पर से एस्मा हटाने का वादा किया था, लेकिन इस बारे में अब तक आदेश जारी नहीं हुआ। डॉक्टरों को कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। हम एस्मा हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन प्रदेश सरकार नहीं सुन रही। अब हमने बेमुद्द हड़ताल खत्म न करने का फैसला किया है।

कल से काली पट्टी बांधकर काम करेंगे सरकारी डॉक्टर
राज्य सरकार द्वारा निजी प्रैक्टिस करने पर रोक लगाने से नाराज सरकारी डॉक्टरों ने अब स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ आंदोलन करने का फैसला किया है। इसके तहत सभी सरकारी डॉक्टर 1 से 7 सितंबर तक काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। 8 सितंबर को मुख्यमंत्री निवास पर प्रदर्शन किया जाएगा। यह निर्णय शुक्रवार को अधिकारी और कर्मचारियों की संयुक्त बैठक में लिया गया।

मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अजय खरे ने बताया कि 7 अगस्त को राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश से विभाग में विषमतापूर्ण स्थिति बन गई है। इसके तहत सरकार ने रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी और दंत चिकित्सकों की प्रैक्टिस में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर ही रोक लगाई है, जबकि अन्य विधा के चिकित्सकों को कुछ उपकरणों के उपयोग की पात्रता दी है। इससे जाहिर होता है कि सरकार ने कुछ डॉक्टरों को प्रताड़ित करने के लिए यह फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से कई डॉक्टर नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य हो जाएंगे।

उन्होंने बताया कि विभाग पहले से ही कुशल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में स्थिति और खराब हो सकती है। सरकार ने एलोपैथिक चिकित्सकों के अलावा आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टरों पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। डॉ. खरे ने बताया कि चिकित्सकों की कई लंबित मांगों के संबंध में भी सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है। सरकारी नीतियों से कर्मचारी परेशान हैं। इसी वजह से अब सरकार के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ने का फैसला लिया गया है।

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