छतरपुर। यह पहली बार नहीं हुआ है जब मध्यप्रदेश पुलिस का क्रूर चेहरा सामने आया है लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है वह लोगों का सिर शर्म से झुका देने को मजबूर है । छतरपुर जिले में सात साल पहले अपने मरे बेटे के लिए इंसाफ खोजते 80 साल के पिता के साथ पुलिस ने जो सलूक किया वह दिल दहला देने वाला है।
पुलिस ने बुजुर्ग पिता की सहायता तो नहीं की उल्टा इंसाफ मांगने पहुंचे पिता को बोतल पर बैठने को मजबूर किया और घायल मलाशय पर पेट्रोल छिड़क दिया। इस अमानवीय कृत्य से बुजुर्ग की हालत इतनी गंभीर बनी हुई है कि अपने बेट के बाद वह भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है।
पीड़ित के मुताबिक उसका बेटा ठेके पर भांग बनाता था लेकिन पुलिस को हफ्ता न देने पर 2006 में छतरपुर पुलिस ने उसे इतना टॉर्चर किया था कि उसकी मौत हो गई। साहू 2006 से बेटे की इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। पुलिस उन्हें कई बार धमकियां दे चुकी है।
ह्यूमन राइट कमीशन की दखलअंदाजी के बावजूद मामले का कोई हल नहीं निकला। ठेके पर भांग बनाने के बदले हफ्ता न देने पर 3 जून 2006 को साहू के बेटे उमेश को कोतवाली पुलिस उठा कर ले गई थी। उमेश को गैगकानूनी तरीके से पूछताछ के बहाने 45 घंटे तक जेल में रखा जिसके बाद 20 जून 2006 को उमेश की मौत हो गई थी। मामला ह्यूमन राइट कमीशन तक पहुंचा जिसने 2009 में दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ एक्शन लेने के आदेश दिए गए थे लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया।
कोई हल न निकलता देख 2012 में साहू ने कोर्ट की शरण ली लेकिन कहीं से कोई सहायता नहीं मिली। अब 80 साल की उम्र में विडंबना यह है कि अपने बेटे की मौत का इंसाफ मांगते पिता को पुलिस और कानून से कोई इंसाफ तो नहीं मिला उल्टा वह खुद भी मरने को मजबूर है।