उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। अब तो शिवराज यदि गुजरात की तरह मुंह करके छींक भी दें तो मीडिया उसमें मोदी कनेक्शन निकाल लेती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा में मोदी के मुकाबले शिवराज को तौला जा रहा है परंतु मीडिया तो दोनों के हाथों में तलवारें थमा देने पर ही आ तुला है।
ताजा मामला ट्विटर पर आए शिवराज सिंह चौहान के उत्तराखंड अपडेट का है। शिवराज सिंह चौहान ने ट्विट किया है कि कि 'हमारे बचाव दल ने उत्तराखंड में मध्य प्रदेश के नागरिकों को बचाने के अलावा बिना किसी भेदभाव के दूसरे राज्यों के 1810 श्रद्घालुओं को भी बचाया।' उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के हेलीकाप्टरों ने न केवल प्रदेश के 292 श्रद्घालुओं को बाहर निकाला, बल्कि दूसरे राज्यों के 247 श्रद्घालुओं की जान भी बचाई।
यह अपने आप में एक सामान्य अपडेट था और चूंकि मंगलवार को अंतिम विमान तीर्थयात्रियों को लेकर उतरा था अत: यह अब तक की स्टेटस रिपोट्र मात्र थी परंतु मीडिया के महारथियों ने इसमें भी मोदी मसाला डाल दिया।
कुछ लोग तो जैसे उपवास किए रहते हैं कि कब शिवराज आखें खोलें और हम छाप दें, शिवराज ने मोदी के फोटो को घूरकर देखा। इस ट्विट को भी मीडिया के कुछ शरारती साथियों ने मोदी पर कटाक्ष का दर्जा दे दिया है। इससे पूर्व जब मोदी ने मंदिर निर्माण की बात की तो जबरन शिवराज से प्रतिक्रिया मांगी गई और जब उन्होंने कहा कि मेरी प्राथमिकता यात्रियों का जीवन बचाना है तो उसे मोदी के खिलाफ पेश कर दिया गया।
समझ नहीं आ रहा कि यह किस तरह की दुश्मनी कराई जा रही है दोनों के बीच। क्या चाहती है मीडिया कि शिवराज सिंह चौहान वही लाइनें दोहराएं जो मोदी ने कहीं हैं या फिर हर बयान से पहले सलाहकार समिति को बुलाकर पूछें कि इसमें मोदी इफेक्ट क्या होगा।
मैं तो केवल इतना बताना चाहता हूं कि शिवराज के कंधे पर रखकर मोदी पर फायर नहीं खोला जा सकता। क्या पता कब किस गोवा में कौन किसको माला पहना डाले।
