नितिन ठाकुर/इछावर। शिक्षा की दुकानें इछावर ब्लाक के चप्पे चप्पे पर अपना पैर पसार चुकीं है मापदडों को दरकिनार किए हुए आखिर यह दुकाने किसके इशारे पर चल रहीं है यह सवाल आम लोगों को कचोटने लगा है इन्हें मान्यता कैसे मिली और किसने दी यह अब जांच का विषय है।
लोगों का कहना है कि नीचे से ऊपर तक दोषी सभी कर्मचारी अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई होनी चाहिए जब ग्रामीण अंचलो में देखा कि कुकुरमुत्तों की तरह शिक्षा की दुकाने उगते देख नागरिक चकित है शिक्षा को धंधा बनाने वालों ने नीचे से लगाकर ऊपर तक के सभी विभागीय कर्मचारियों को खरीद डाला है। यही कारण है कि शिक्षा विभाग के आला अफसरों की आंख पर पट्टी डली है और शाला में जहां टेबल कुर्सिया रखी होना था वहां नौनिहालों के बैठने को लेकर टाटपट्टियां पडी है।
ये स्कूल है या तबेला |
अभिभावक इस बात को लेकर मोटी फीस जमा करते जा रह है कि हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा दीक्षा गृहण करने जा रहे है वे तनिक भी इस बात से अवगत नही है कि जिस बच्चे को उन्होने निजि स्कूल में पडाई के लिए भेजा है वो महज स्कूल ही नही शिक्षा की दुकान हैं खुद की जेब भी खाली और बच्चे का भविष्य चौपट होना है
आरटीई के मापदडों के अनुरूप नही पाए गए इछावर ब्लाक के 40 प्रायवेट स्कूलों को शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी कर अपना पल्ला झाड लिया है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जिन स्कूल संचालकों से तालमेल नही बैठ पाया वही विभाग के निशाने पर रहे। कागजों का पूरा पेट भर दिया गया और सेंटिग के सहारे स्कूली सस्थांए इस साल भी संचालित होन की स्थिति में आ गई।