सत्यकथा: हत्यारिन प्रेमिका

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ग्वालियर/ सीहोर। कहते हैं प्यार जितना पुराना हो उतना ही गहरा होता है, मगर उसका अंत क्या होगा, इस बात से प्रेमी-प्रेमिका दोनों अंजान होते हैं। एक ऐसी ही प्यार की कहानी मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में बसे एक छोटा से कस्बे अहमदपुर से शुरू होती है और उसका भोपाल में आकर दर्दनाक अंत होता है।

इस प्रेम कहानी में प्रेमिका पिंकी ने अपने प्रेमी जितेंद्र को ऐसी मौत दी, जिसे सुनकर प्यार करने वालों के रोंगटे खड़े हो गए।

अहमदपुर का निवासी जितेंद्र के पिता मेडिकल स्टोर की दुकान चलाते थे और जितेंद्र अपने पिता के साथ ही काम करता था। जिस अस्पताल के पास जितेंद्र की दुकान थी, वह एक डॉक्टर का था। अस्पताल के मालिक डॉक्टर साहब और जिंतेंद्र के बीच का रिश्ता काफी अच्छा था और इस वजह से जितेंद्र का डॉक्टर साहब के घर पर आना जाना काफी हुआ करता था।

डॉक्टर साहब के घर में उनकी दो बेटी और उनकी पत्नी के अलावा कोई नहीं रहता था। डॉक्टर की बड़ी बेटी का नाम पिंकी था, जो जितेंद्र से 10 वर्ष की छोटी थी, पिंकी उस वक्त कक्षा 10वीं की स्टूडेंट की थी और उस वक्त जितेंद्र की शादी हो चुकी थी।

एक दिन जब जितेंद्र डॉक्टर के घर पहुंचा तो उस वक्त घर पर कोई नहीं था सिवाए पिंकी के। पता नहीं उस दिन जितेंद्र ने पिंकी को किस अवस्था में देख लिया कि उसके मन में पिंकी के प्रति गलत ख्याल पनपने लगे। उस दिन के बाद से जितेंद्र के मन में बस एक ही बात आने लगी कि किसी भी तरह उसे पिंकी को पाना है।

एक रात अहमदपुर में काफी तेज बारिश हो रही थी और जितेंद्र उस वक्त डॉक्टर साहब के घर पर ही बैठा था कि अचानक लाइट चली गई। उस वक्त घर पर सिर्फ पिंकी की मां ही थी। लाइट जाते ही जितेंद्र ने पिंकी का हाथ पकड़ लिया, जिससे पिंकी को एक नया अहसास मिला, चूकि इससे पहले किसी लड़के ने इस अंदाज में पिंकी का हाथ नहीं पकड़ा था। उस दिन के बाद से एन दोनों के बीच प्यार का सिलसिला शुरू हो गया। पर भला, प्यार-मोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक कहां छुपाई जा सकती है। चूकि अहमदपुर एक छोटा सा कस्बा था, इसलिए यह बात पूरे कस्बे में तेजी से फैल गई।

जब डॉक्टर साहब को इस बात का पता चला तो जितेंद्र का पिंकी के घर आना जाना भी बंद हो गया। फिर पिंकी शादी उज्जैन में एक शरीफ घर में कर दी गई। डॉक्टर साहब को लगा शायद शादी करने के बाद पिंकी जितेंद्र को भूल जाएगी। उस वक्त पिंकी ने अपना ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी कर चूकी थी। मगर शादी के बाद भी पिंकी और जितेंद्र की प्रेमकथा चलती रही। पिंकी अपने ससुराल में भी जितेंद्र को बुलाने लगी।

एक दिन पिंकी के पति ने पिंकी औक जितेंद्र को गलत अवस्था में देख लिया। उसके बाद पिंकी ने बिना अपने माता-पिता को कुछ बताए अपना ससुराल छोड़ दिया और वह भोपाल आकर अकेली रहने लगी। जिससे जितेंद्र को काफी फायदा हुआ। अब वह प्रतिदिन अहमदपुर से दो-चार घंटे निकाल कर पिंकी के पास आ जाया करता था। जब जितेंद्र की पत्नी उससे पूछती थी कि प्रतिदिन भोपाल जाने का क्या मतलब है आपको, तो जितेंद्र बिजनेस की बात करके बात टाल दिया करता था।

हंलाकि, यह बात उसके घर के साथ-साथ पूरा कस्बा जानता था कि जितेंद्र भोपाल पिंकी के पास जाता था। एक पिंकी के माता-पिता उससे मिलने भोपाल आएं और उसे दिन-दुनिया और समाज की ढ़ेर सारी बातों से अवगत कराए और पिंकी तो जितेंद्र के प्यार में मदहोश थी उसे क्या पड़ी थी दिन-दुनिया और समाज की।

उस दिन के बाद से पिंकी का रिश्ता भी उसके मायका ने टूट गया, जबकि ससुराल से तो उसने पहले ही अपना नाता तोड़ चुकी थी। अब साथ था तो बस जितेंद्र का। दिन-प्रतिदिन पिंकी का खर्च बढ़ता चला गया, क्योंकि जितेंद्र ने उसे सिगरेट और शराब की लत जो लगा दिया था। जितेंद्र के लिए दो घरों का खर्च उठाना अब थोड़ा मंहगा पड़ रहा था लेकिन फिर भी जितेंद्र, पिंकी को अपने से दूर नहीं करना चाहता था।

उधर पिंकी की मां को अपनी बेटी की चिंता हमेशा सताती थी, क्योंकि औलाद कितना भी खराब क्यूं न हो जाए मां के दिल में अपनी औलाद के लिए हमदर्दी को हमेशा रहती है। इस कारण पिंकी की मां हमेशा अपने ड्राइवर रामबाबू को पिंकी के पास भेजा करती थी, जिससे अपनी बेटी खबर उन्हें हमेशा मिल जाया करती थी।

एक दिन जब ड्राइवर रामबाबू पिंकी की खबर लेने के लिए अहमदपुर से गाड़ी लेकर भोपाल की ओर रवाना हुए तो भोपाल पहुंचते ही उनकी मुलाकात सौदान नामक एक व्यक्ति से हुई। दरअसल, सौदान  एक नंबर का बदमाश व्यक्ति था जो अहमदपुर का ही रहने वाला था, जिसका अहमदपुर थाने में नाम भी दर्ज है।

जब सौदान को पता चला की रामबाबू पिंकी से मिलने जा रहे तो सौदान के मन पिंकी के प्रति गंदे ख्याल आने लगे और रामबाबू के साथ पिंकी को सहानुभूति देने के लिए सौदान भी पिंकी के पास चला गया। उसके बाद से सौदान का पिंकी के यहां आना जाना लगातार होने लगा। उधर पिंकी का भरोसा भी जितेंद्र से टूटने लगा था।

पिंकी को समझ में आने लगा था कि जितेंद्र उससे नहीं बल्की उसकी शरीर से प्यार करता है। एक दिन जब जितेंद्र पिंकी से मिलने आया तो पिंकी ने जितेंद्र से शादी करने की बात कही और इस बात से जितेंद्र मुकर गया क्योंकि जितेंद्र का मकसद पिंकी के साथ जिंदगीभर सेक्स करने का ही था न कि परिवार बसाने का।

उस दिन के बाद पिंकी ने एक फैसला लिया कि वह अपनी सारी बात सौदान को बताएगी और फिर उसके साथ मिलकर कोई हल निकालेगी। और आखिरकार वह दिन आ ही गया। एक दिन पिंकी से मिलने के लिए जब जितेंद्र उसके घर पहुंचा तो वहां सौदान को देख जितेंद्र को काफी गुस्सा आया और थोड़ी बहुत बहसबाजी भी हुई।

उसके बाद पिंकी ने जितेंद्र की चाय में बेहोशी वाली दवा मिलाकर उसे बेहोश कर दिया और फिर पिंकी और सौदान दोनों मिलकर जितेंद्र को चाकू घोंप-घोंपकर मार डाला। उसके बाद पिंकी ने अपने ड्राइवर रामबाबू को भोपाल बुलाया और साथ में एक बोरा साथ लाने को कहा। जब रामबाबू पिंकी के यहां पहुंचे तो जितेंद्र की लाश देखकर तुंरत वहां से रफूचक्कर हो गए।

उसी दौरान पिंकी की एक दोस्त नेहा भी वहां जा पहुंची और उसने लाश को देख लिया। पिंकी भी भोपाल में ही रहती थी। वहीं दूसरी ओर जब दो दिनों तक जितेंद्र का कुछ अतापता नहीं चला तो जितेंद्र के घरवाले सीधा पिंकी के घर भोपाल पहुंचे। पिंकी के घर के बाहर जितेंद्र की मोटरसाइकिल तो खड़ी थी पर जितेंद्र का कुछ अता पता नहीं था।

फिर जितेंद्र की तालाश करने के लिए वे लोग भोपाल स्थित गौतम नगर थाने की मदद ली। पुलिस वालों ने तो पहले छानबीन किया पर, न ही पिंकी कहीं मिली और न ही जितेंद्र। फिर पिंकी के दरवाजे को जब तोड़ा गया तो वहां जितेंद्र की लाश एक बोरे में पड़ी मिली। पुलिस की लाश छानबीन के बावजूद कोई सुराग नहीं मिल रहा था।

फिर आस पड़ोस से बातचित करने पर पता चला कि पिंकी जिस दिन अपने घर से बाहर गई थी, उस दिन उसका ड्राइवर रामबाबू और उसकी एक दोस्त नेहा भी उससे मिलने आई थी। फिर पुलिस ने नेहा और रामबाबू को पकड़ा और फिर इन दोनों ने जो देखा था वे पुलिस के सामने बोल दिए।

पुलिस को यकिन था कि पिंकी अपने दोस्त नेहा को फोन जरूर करेगी और एक दिन ऐसा ही हुआ। पिंकी ने जैसे ही नेहा को फोन किया, पुलिस ने उसके बाद पिंकी का ठिकाना खोज निकाला और पिंकी और सौदान दोनों को गिरफ्तार कर लिया और अंत में दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया।


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