भोपाल। हाईकोर्ट से क्लीनचिट मिलने के बाद राज्य सरकार आईएएस अफसर डॉ. राजेश राजौरा को गृह सचिव बनाने की तैयारी में है। साथ ही उन्हें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी दिया जा सकता है। इधर, आईएएस एसोसिएशन डॉ. राजौरा के पक्ष में खड़ा हो गया है।
एसोसिएशन का कहना है कि डॉ. राजौरा के खिलाफ जारी किए गए आरोप पत्र राज्य सरकार को वापस लेने चाहिए तथा उनके विरुद्ध तय की गई विभागीय जांच भी वापस ली जानी चाहिए।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग ने जब डॉ. राजौरा के घर पर छापा मारा था, तब वे गृह सचिव थे। इसलिए उन्हें पुन: इस पद पर पदस्थ किए जाने की उम्मीद है। वर्तमान में डॉ. राजौरा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में सचिव हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि डॉ. राजौरा को इस पद पर लाकर आईएएस अफसर
उनका सम्मान लौटाना चाहते हैं। इसको लेकर शासन स्तर पर प्रयास शुरू हो गए हैं। पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय ले सरकार : आईएएस एसोसिएशन की इस मुद्दे को लेकर अध्यक्ष अरुणा शर्मा के चार इमली स्थित निवास पर रविवार को बैठक हुई। बैठक में सदस्यों ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार अफसरों के खिलाफ आरोप पत्र जारी करती है। इस प्रवृत्ति को बदलना होगा।
एप्रेजल रिपोर्ट प्रारंभिक जांच के आधार पर तैयार की जाती है, लेकिन जब जांच आगे बढ़ती है तो इसमें व्यापक बदलाव हो जाता है। एसोसिएशन का कहना है कि राज्य सरकार को ऐसे प्रकरणों में गुणदोष के आधार पर स्वविवेक से निर्णय लेना चाहिए। रिपोर्ट के आधार पर नहीं बल्कि सरकार तय करे कि अफसर कि खिलाफ कार्यवाही की जाए अथवा नहीं? इन मांगों को लेकर एसोसिएशन के पदाधिकारी जल्दी ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करेगा।
आईएएस अफसर अग्रवाल भी हुए थे शिकार
बैठक में छत्तीसगढ़ में पदस्थ 1989 बैच के आईएएस अफसर बीएल अग्रवाल का उदाहरण दिया गया। इस प्रकरण में आयकर विभाग ने फरवरी 2010 में अग्रवाल के यहां छापा मारा था। प्रारंभिक जांच में अग्रवाल के पास 300 करोड़ रुपए से अधिक की अनुपातहीन संपत्ति बताई गई थी। लेकिन जब प्रकरण न्यायालय पहुंचा, तब यह राशि महज 20 हजार रुपए रह गई थी।