मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चूना लगा गई एक मनचली

भिंड। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष अपने माता-पिता को उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा में खोने की कहानी गढ़ने वाली लड़की की असलियत सामने आते ही भिंड जिला प्रशासन के साथ ही पूरी राज्य सरकार सकते में आ गई है।

दरअसल भोपाल में कल मुख्यमंत्री ने स्नेहलता नाम की जिस लड़की को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी उसकी असलियत कुछ अलग ही उजागर हुयी है। उसने स्वयं को ग्वालियर निवासी बताया था जबकि वास्तव में वह भिंड जिला मुख्यालय स्थित गांधीनगर निवासी है और उसके माता-पिता तथा अन्य परिजन भी यहीं निवास करते हैं।

अनुविभागीय राजस्व अधिकारी नरोत्तम भार्गव ने आज बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर इस कथित स्नेहलता नाम की लड़की के परिजनों के बारे में कल ही पूरी जानकारी सामने आयी है। इसका वास्तविक नाम ज्योति है और इसे हीरा तथा अन्य नामों से भी पुकारा जाता है। पटवारी मनीश शर्मा के साथ कल रात इस लड़की के पिता महावीर शर्मा और बहन अरूषि को भोपाल रवाना किया गया है। 

यह लड़की कथित तौर पर बीमार होने के कारण कल से ही भोपाल के जेपी अस्पताल में भर्ती है। लड़की की असलियत उजागर होने पर आज मीडिया की भीड़ अस्पताल पहुंची लेकिन मीडिया को उस लड़की से मिलने नहीं दिया गया। श्री भार्गव ने बताया कि ज्योति उर्फ नेहा नाम की इस लड़की ने उत्तराखंड की त्रासदी में अपने माता-पिता को खोने की बात कही है जो सत्य नहीं है। इस लड़की के माता-पिता चारधाम की यात्रा पर गए ही नहीं थे। दोनों सही, सलामत घर पर ही हैं।

गांधीनगर निवासी महावीर शर्मा और उनकी पत्नी विद्या के कुल सात संतानें हैं। इनमें नेहा के अलावा मंजू, अरूषि और एक अन्य बहन है जिसका विवाह हो चुका है। उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर करायी गयी जांच का हवाला देते हुए कहा कि इस लड़की के तीन भाई रामवीर श्याम और गिरिराज शर्मा भी हैं। रामवीर का विवाह हो चुका है और श्याम किसी आपराधिक मामले में जेल में बंद है। पिता महावीर पेशे से खेती का काम करते हैं।

उनका कहना है कि इन सभी तथ्यों से राज्य सरकार को अवगत करा दिया गया है और लड़की के पिता और एक बहन को कल रात ही भोपाल भी भेज दिया गया है। प्रारंभिक जांच, पड़ताल के हवाले से बताया गया है कि यह लड़की और अन्य बहनें परिवार का भरण, पोषण करने का काम भी करती है। यह अक्सर शहर के बाहर भी जाती रहती है। अभी हाल में लगभग एक सप्ताह से यह घर नहीं पहुंची थी। चूंकि वह अक्सर बाहर जाती रहती थी। इसलिए परिवारजनों को ज्यादा चिंता नहीं रहती है।

मीडिया में इसका नाम और फोटो आने के साथ ही परिजनों और प्रशासन में हड़कंप मच गया।    मुख्यमंत्री श्री चौहान देहरादून से कल एक विशेष विमान से सोमवार को इस लड़की और डेढ़ सौ से अधिक आपदा प्रभावित यात्रियों को लेकर भोपाल पहुंचे थे। बताया गया है कि हरिद्वार के एक राहत शिविर में यह लड़की पिछले तीन दिनों से रूकी थी और उसका दावा था कि वह अपने माता-पिता को तलाशने आई है, जो चारधाम की यात्रा पर गए थे लेकिन अभी तक घर नहीं पहुंचे।

उसका कहना था कि अब उसके परिवार में सिर्फ वह और उसकी एक बहन जीवित है। मुख्यमंत्री ने इस लड़की की व्यथा सुनकर दया दिखलाई और कल ही भोपाल में उसे सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि इस लड़की को सरकार हरसंभव मदद मुहैया कराएगी और उसे अकेले नहीं रहने देगी।

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