भोपाल। प्रदेश भर मे 17 वर्षो से आर्थिक व प्रशासनीक स्तर पर शोषित शिक्षाकर्मी से अघ्यापक बने वर्ग की समान कार्य समान वेतन कि मांग मंजुर करने की घोषणा तो कर दी है सरकार ने किन्तु जिस विभाग में कार्यरत उसी विभाग मे संविलय की मांग को न मानते हुए सरकार ने यूटर्न लेकर एक नया पेंतरा फेंका राज्य शिक्षा सेवा के नाम से नया विभाग बना डाला और उसे तुरतफुरत मंजुरी दे दी व इस विभाग पर 68 करोड का बजट व्यय की राशि का आंकलन भी घोषित कर दिया।
पर जिस संवर्ग के लिए यह घोषणा कि उसके किसी संगठन से सरकार ने राय मषुरा लेना मुनासीब नही समझा और नारा दे दिया प्राथमिक व माध्यमिक षिक्षा के जमीनी स्तर पर पर्यवेक्षण के अभाव के दुर करने व षिक्षा के गुणवत्ता का विकास से जोडकर इसे देखा जा रहा है। और इस शिक्षा सेवा गठन मे एक बात और कही जा रही है कि अध्यापक के रूप् में कार्यरत स्थानीय निकाय के कर्मचारी अब पदोन्नति का लाभ ले सकेंगे शायद इस फन्डे का निर्माण करने वाले अफसर यह भुल गये थे या उन्हे अध्यापको के समबन्ध मे पुरा ज्ञान नही कि अध्यापक जो स्थानीय निेकाय से है।
सहायक अध्यापक,अध्यापक व वरिष्ठ अध्यापको के पदो पर पहले से पदोउन्नत होते आ रहे है इतना बडा आंदोलन समान कार्य,समान वेतन व सेवा के लिए खडा करने के बाद भी सरकार व इस मामले में लगे अधिकारीयो ने अध्यापको व पुराने शिक्षकों में भेदभाव करना नही छोड़ा नवीन विभाग को स्थापना की घोषणा का टीवी पर मंत्री मण्डल की मुजुरी कि खबर देख कर खुशी हुई थी की अब भेदभाव नही होगा पर अगले दिन समाचार पत्र मे खबर पढनें को मिली तो फिर भेदभाव की बू देखने को मिली कि 50 प्रतीशत प्राचार्य हाईस्कुल के पदों पर व्याख्याताओ की पदोन्नती 25 प्रतिशत ए.ई.ओ कि पद उन्नती से और मात्र 25 प्रतीशत स्थानीय निकाय के संवर्ग के वरिष्ठ अध्यापकों मे से सीमीत परीक्षा द्वारा भरे जाएगे अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि जब व्याखयाता के पद के विरूध वरिष्ठ अध्यापको की पूर्ति पुर्ण योग्यता व बाद मे व्यापम परीक्षा के माध्यम से कि गई फिर भी व्याखयाताओ का बिना परीक्षा के प्रचार्यो के पदो पर पदोन्नती दी जा रही है।
तो व्याखयता संवर्ग मे ऐसी कोन सी विशेष योग्यता है जो वरिष्ठ अध्यापको मे नही है या वरिष्ठ अध्यापको मे कौन सी कमी हैं जो व्याखयाताओ से कमतर है वह अध्यापक संवर्ग के साथ भेदभाव है यदी व्याख्यताओ का प्रमोष सिधे 50 प्रतीषत पदो पर होता हे तो वरिष्ठ अध्यापक जो 17 वर्षो से प्रमोष का रास्ता देख रहे है बिना परिक्षा के सिधे प्रमोष का अधिकार रखते है वह भी 50 प्रतीशत स्थानो पर अनेक व्याखयाता तो यु.डी.टी से प्रधान पाठक व उसके व्याख्याता के पदो पर प्रमोशन व उसके बाद प्रचार्य के पद पर सीधे प्रमोषन दीया जाता है। इस प्रकार प्रमोषन पर प्रमोषन तो फीर वरिष्ठ अध्यापको को नीयुक्ति से लेकर 17 साल में सीधे एक बार भी प्रमोषन दीया नही परीक्षा के माध्यम से कयो जब की वर्ष 98 से शिक्षाकर्मी से वरिष्ठ अध्यापक बने स वर्ग का प्रमोषन विभागीय और सेवा अवधी काल मे किये गये सतत् कार्य का पुरूस्कार है प्रारंभ मे भर्ती के समय षिक्षा कर्मी 7 वर्षो मे प्रमोषन का नीयम बनाया गया जीसमे वर्ग 3 व 2 को इसका लाभ दीया गया व 1 को लाभ से वंचित इसी तरह भर्ती के समय बी.एड के 8 अंक दीये थे और अब बी.एड न होने पर वेतन वृद्वी रोकी जा रही है।
दूसरी और पुराने षिक्षको को बी.एड की अतीरीक्त वेतन वृद्वी दी जाए इसी तरह अध्यापको के साथ अनयाय किया जा रहा है और षिक्षा सेवा विभाग पहले से भी वरिष्ठ अध्यापको को 50 प्रतीषत पद पर प्रमोषन देने के स्थान पर मात्र 25 प्रतीषत पद पर पद उन्नत किया जाएगा परीक्षा के माध्यम से जब की 50 प्रतीषत प्रचार्य की पदो पर व्याख्याताओ को प्रमोषन दीया जा रहा है वो भी बीना परीक्षा के आखीर ऐसा भेदभाव कब तक इस संबंध में अध्यापक मोर्चं के संरक्षक श्री मनोज मराठे ने प्रदेष मुख्यमंत्री श्रीशिवराज चैहान पी एस श्री मनोज श्री वास्तव श्री प्रमुख सचीव षिक्षा विभाग श्री संजय सीह को पत्र लीख कर पुछाा हे कि व्याखयाताओ मे ऐसी कौन सी अतीरीक्त योगयता है जो उन्हे सीधे प्रमोषन दीया जा रहा है जो योगयता उनके समान वरिष्ठ अध्यापको मे नही है सरकार स्पष्ट करे व व्याख्याता प्राचार्य के पदो पर परीक्षा के बजाए 50 प्रतीषत पदो पर पदउन्नती के आदेष जारी करे अन्यथा उस अन्याय के विरूद्व न्याय के लिए मामला उचच न्यायलय मे लेजाया जाएगा।
मनोज मराठे
9826699484
अध्यापक मोर्चा संरक्षक