राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश की राजनीति दो नम्बर की मात के खेल में जुट गई है। संसदीय परम्परा को बलाए ताक रखकर सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।
पिछले एक सप्ताह से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम को और धारदार बनाने की यह कवायद कहाँ जाकर रुकेगी कहना मुश्किल है | भारतीय जनता पार्टी का आज दांव भले संसदीय न कहा जा रहा हो पर था- जैसे को तैसा |
मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में नम्बर दो कहे जाने वाले राघव जी की सी डी बनाने का दावा भले ही शिव शंकर पटेरिया करें | बाद और पहले के घटनाक्रम बताते हैं की कांग्रेस की रूचि और धमकी के कारण भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व को यह फैसला लेना पड़ा| प्रत्येक प्रतिपक्ष की रूचि अपने सामने वाले को धराशायी करने की होती है | जो हो गया | यह सवाल तो उस दिन से चर्चा में था और कार्रवाई की बाट जो रहा था , जब इससे अलग लेकिन इस जैसे ही एक प्रकरण पर पूर्व वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री की बात हुई थी | तब कुछ हवाले भी हुए थे जिनकी खबर बाज़ार में है | कांग्रेस का वार कमर के नीचे था | परन्तु सही और भरपूर था |
बदले में कांग्रेस विधायक दल के उपनेता राकेश सिंह चतुर्वेदी की सदन में बगावत भी कमजोर प्रबन्धन नहीं था | भाजपा ने खूब किया, लेकिन सदन चलाने की जिम्मेदारी से मुंह चुरा लिया | कांग्रेस के प्रस्ताव में कितनी दम थी, सबको मालूम है | प्रस्ताव सदन में गिरता , अब उसे पूरे प्रदेश में फैलाने का अवसर भाजपा ने कांग्रेस को दे दिया है | शह और मात के खेल अभी और होंगे अभी तो सिर्फ बिछात ही बिछी है |
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
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