भोपाल(प्रभात झा)। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह जो पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह जी के पुत्र है उन्होने मुख्यमंत्री काल में शासन को आवेदन के मात्र आठ दिन के भीतर औघोगिक क्षेत्र में भूखण्ड का आंवटन करा लिया था। यह मामला गोविन्दपुरा स्थित श्री अजय सिंह की कंपनी कंसोलिडेटेड इलेक्ट्रिकल्स के लिए भूमि आवंटन का है।
जिसमें वह 22/10/82 को आवंटन करते है और 30/10/82 को उनके पक्ष में आशयपत्र जारी भी कर दिया जाता है। भारतीय जनता पार्टी सरकार ने आम आदमी की सुविधा के लिए लोक सेवा गांरटी अधिनियम बनाया। उस समय मुख्यमंत्री पुत्र के लिए यह सुविधा रही प्रतीत होती है। जहां मात्र 8 दिन में जमीन आंवटन मिल गया था। अपने आर्थिक फायदे के लिए पद और सत्ता के राजनैतिक दुरूपयोग का इससे बदतर उदाहरण क्या हो सकता है।
26 अक्टूबर को नोटशीट पर टिप्पणी लिखी जाती है कि ‘‘कृपया अन्य लंबित प्रकरणों के साथ प्रस्तुत करें।’’
लेकिन इस टीप का कोई समाधान नोटशीट पर अंकित नही होता।
4 दिन बाद प्लाट नं-15 का 160‘ग150‘ के जमीन आवंटन का आशय पत्र जारी कर दिया जाता है। अन्य लंबित दावों का क्या हुआ?
इसकी बैंक गारंटी की कहानी भी दिलचस्प है। बैंक गारंटी दिनांक 11/11/82 को बनाई जाती है लेकिन 12/11/82 को पंजीयन में इकाई का नाम बदल कर ईटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड भोपाल कर दिया जाता है।
नये नाम से कोई बैंक गारंटी न होने पर भी आवंटन आदेश इसी नाम से जारी कर दिया जाता है।
30 नवंबर 1982 को आंध्रा बैंक, मालवीय नगर शाखा का एक पत्र, जिस पर बैंक की या उसके पदाधिकारी प्रबंधक की कोई सील नही है, इसी बैंक गांरटी को नए नाम से ट्रीट करने का लिखती है।
किसी औद्यौगिक प्लाट आवंटन नीति के किसी प्रावधान का कोई उल्लेख इस प्रक्रिया में नही होता। तब rc M.P Industries (Allotment of land plot/shed) Rules,1974 प्रवृत्त थे।
27/11/82 को लीज पंजीकृत हुई। किन्तु इस पर कार्य आपने बिना नगरीय भूमि सीमा अधिनियम की अनुमति के ही शुरू कर दिया। 23/12/82 को महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र ने ‘‘कुछ विवाद होने के कारण’’ काम रोकने के लिए लिखित रूप में कहा। महाप्रबंधक का कहना था कि मना करने के बाद भी काम किया जाता रहा।
‘‘विवाद’’ की प्रकृति का उल्लेख करने का साहस उस अदने कर्मचारी का नही था। लेकिन विवाद, का इतिहास बताता है कि बिना नगर भूमि सीमा अधिनियम ,1976 की धारा -20(1)के अंतर्गत सक्षम अधिकारी की अनुमति के निर्माण नही हो सकता था।
फिर मुख्यमंत्री पुत्र होने का फायदा उठाते हुए,आनन फानन में 15/3/83 को सक्षम अधिकारी द्वारा अनुमति दे भी दी गई।
फिर इन्हें 12,000 sq.feet tehu जमीन का अतिरिक्त आवंटन का आशय पत्र भी अपने पिता के मुख्यमंत्रित्व काल में प्राप्त हुआ।
इस अतिरिक्त आवंटन से कंपनी को मिली भूमि 24000$12000 मिलकर 36,000 वर्गफीट हो गई।
एक ही अधिनियम में दो दो सक्षम प्राधिकारियों की धारा 20(1) के तहत अनुमतियां इस केस में दी गई जो विचित्र लगता है। 29/1/83 को जब संचालक उ़द्योग को मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग के विशेष सचिव की तरह धारा 20(1) (ं) तहत शंक्तियां दे दी गई थी तो 15/3/83 को सक्षम प्राधिकारी नगर भूमि सीमा भोपाल कौन सी अनुमति दे रहे थे? औद्यौगिक भूमि के मामले में यह शक्ति तो संचालक उद्योग में आ गई थी।
फिर इस अनुवर्ती $ 12000 वर्गफीट की अतिरिक्त जमीन के लिए सक्षम अधिकारी की एक भी अनुमति नही ली गई।
- ईटीसी इंडस्ट्रीस लिमिटेड ट्रांसफार्मर सप्लाई करने का काम करती है। इस कंपनी के डायरेक्टर श्री अजय सिंह रहे है
जब इस कंपनी पर आपत्ति लगने लगी तो एक होल्डिंग कंपनी मेसर्स सेंन्ट्रल इंडिया हाईटेंक प्रिन्टर प्राईवेट लि. बनाई गई। इस कंपनी के अधिकांश शेयर:-
1. श्री अजय सिंह नेता प्रतिपक्ष
2. श्रीमती सुनीति सिंह, पत्नी श्री अजय सिंह
3. श्री अरूणोदय सिंह पुत्र श्री अजय सिंह
श्री अजय सिंह ने नेता प्रतिपक्ष रहते हुए विगत 2-3 वर्षो में एम.पी.ई.बी के विभिन्न कंपनियों से टांसफार्मर सप्लाई के आर्डर अर्जित किये। यह जनप्रतिनिधित्व की धारा 9 (ए) के अंतर्गत अयोग्यता की श्रेणी में आता है।
- जबकि कंपनी एक्ट 1956 की धारा 66 में शेयर होल्डर के शब्द को परिभाषित किया गया है। चूंकि सेन्ट्रल इंडिया हाईटेक प्रिंटर प्राइवेट लिमिटेड के पास ईटीसी इन्स्ट्रीज के एक करोड़ 19 लाख के शेयर थे। जब यह मामला प्रकाश में आया तो श्री अजय सिंह ने इसके कम करके शेयर 70 लाख 35 हजार कर लिये। लेकिन इसके बाद भी वे दोषमुक्त नहीं हो सकते क्योंकि वर्ष 2012 में वे नेता प्रतिपक्ष थे। वर्तमान में मेसर्स सेन्ट्रल इंडिया हाईटेक प्रिन्टर प्रा.लि. के कुल शेयर 8.84 करोड़ में से 4.20 करोड़ यानि 47.52 प्रतिशत के शेयर श्री अजय सिंह के पास है। शेष शेयर जो पत्नी और पुत्र के नाम थे वो हटा लिए।
- सेन्ट्रल इंडिया हाईटेक प्रिन्टर प्रा.लि. की कुल अंश पूंजी 11 करोड़ 31 लाख है। इसमें से 6.55 करोड़ का निवेश अचल सम्पत्ति में है। उस अचल संपत्ति में कृषि भूमि और मकान है।
जिसकी जानकारी विधानसभा को नही दी गई है। यह नियम विरूद्व है।
- सेन्ट्रल इंडिया हाईटेक प्रिन्टर प्रा.लि. इसमें से मेसर्स वेंकेटेश्वर सिगारेट कंपनी प्रा.लि. ने 4.64 करोड़ की राशि अर्जित की। यह कंपनी भी पूर्णतः श्री अजयसिंह और उनकी पत्नी श्रीमती सुनीति सिंह की है। इसमें अजय सिंह का शेयर 86.37 प्रतिशत एवं पत्नी श्रीमती सुनीति सिंह का 13.63 प्रतिशत है।
- श्री अजय सिंह बतौर चेयरमेन इस कंपनी के बोर्ड की बैठक भी ले चुके है और उनके प्रोसिडिंग पर हस्ताक्षर भी मौजूद है। जो कि जनप्रतिनिधि अधिनियम के विरूद्व है।
- दोनो ही कंपनियो की रजिस्टर्ड आफिस ई-2/6 अरेरा कालोनी में है यह मकान बी.एम. गुप्ता नाम के किसी व्यक्ति का है। यहां पर इन दोनों नामों की कोई कंपनी नहीं है। यह आवासीय इलाका है कंपनी एक्ट की धारा 147 एवं धारा 209 का सरासर उल्लंघन है।