वायरल फीवर की चपेट में राजधानी

भोपाल। राजधानीवासी इन दिनों वायरल फीवर की चपेट में हैं। स्थिति ये है कि शहर के मेडिकल कॉलेज से संबंध अस्पतालों के साथ-साथ जिला चिकित्सालय की ओपीडी में मरीजों की कतारें देखने को मिल रही हैं। इन मरीजों में वायरल के मरीजों की संख्या में सबसे ज्यादा है।

हालात को देखते हुए सीएमएचओ ने एक ओर जहां जिला अस्पतालों में दवाइयों का भंडारण बढ़ा दिया है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में निरीक्षण के लिए टीम तैनात कर दी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि चूंकि मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है इसलिए अस्पतालों में इन दिनों वायरल के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।

उन्होंने बताया कि अस्पतालों में हर दिन 30-35 प्रतिशत वायरल से पीड़ित मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। इसके चलते सभी जिला अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यक दवाइयों को भंडारण बढ़ा दिया है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में निरीक्षण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में टीम भी तैनात कर रखी है जो लोगों की जांच कर प्रभावितों को उपचार देने का काम कर रही है।

वायरल के अलावा अन्य बीमारियां

वायरल का प्रकोप शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। जिससे बुखार, सर्दी, जुकाम की शिकायत तो बढ़ी है। पेट दर्द, पेंचिस, मलेरिया व उल्टी आदि बीमारियां लोगों को घेर रही हैं।

वायरल इंफेक्शन के कारण सामान्य सर्दी, भारी नजला, डेंगू बुखार, मस्तिष्क बुखार आदि हैं, जिनका वर्तमान में कोई स्थायी इलाज नहीं है। दवाइयों व स्वयं की जागरूकता द्वारा उस पर नियंत्रण पाया जाता है, जिसमें लम्बा वक्त लगता है।

मलेरिया होने का डर

सर्दी-जुकाम व वायरल का प्रकोप बढ़ गया है। हल्का बुखार होने पर भी लोगों को मलेरिया का डर सताने लगा है। बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वायरल पीड़ित मरीजों का रक्त परीक्षण भी किया जा रहा है। रोजाना 150 से 200 रोगियों का रक्त परीक्षण हो रहा है।

वायरल से बचने साफ सफाई पर दें ध्यान

लापरवाही के चलते ही लोग वायरल जैसी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। अक्सर देखा गया है कि लोग बिना धुले फल व सब्जी आदि खा लेते हैं। सफाई पर ध्यान दिए बिना किसी भी टपरे में खाना-पीना शुरू कर देते हैं। इस बावत हमीदिया अस्पताल के सह-अधीक्षक डॉ. आसिफ खान से बताया कि अकसर देखा गया है कि लोग लापरवाही बरतने के चलते मौसमी बीमारियों ग्रसित हो जाते हैं। उन्हें बीमारी से बचने के लिए स्वयं सचेत रहना होगा।

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