राजेश शुक्ला/अनूपपुर। यहां के सरकारी अस्पताल में पिछले डेढ़ महीने से रुकमणी इलाज के नाम पर भर्ती है परंतु उसे देखने के लिए ना तो उसका पति आया और ना ही पिता। सास ससुर या किसी और की तो बात ही क्या करें। जब मीडिया ने छानबीन की तो पता चला कि उसे तो सबने ठुकरा दिया है। आश्चर्यजनक तो यह है कि यह सबकुछ शादी के 11 साल बाद किया गया।
पिता का कहना है कि मेरे पास देने के लिए और दहेज नहीं है, अब उसका जो भी हो भगवान जाने और सास ससुर का कहना है कि जब उसके पिता मुकर गए तो हमको भी मुकरना ही पड़ेगा।
जिले के गंगा प्रसाद गुप्ता निवासी ने रुकमणी की शादी १ मई २००२ को अमलाई निवासी रामखेलावन गुप्ता के बेटे राजेश से कर दी, परंतु उसे क्या पता कि शादी के चंद महीने बीते ही थे, कि रूकमणी पर प्रताडना का कहर टूटने लगा। और आज ११ वर्ष हो गये पर रूकमणी पर प्रताडना बंद नहीं हुई, जब यह प्रताडना अधिक बढ़ गई तो ससुराल पक्ष ने उसे अधमरा कर जिला चिकित्सालय में छोड़ गये उसके बाद डेढ़ माह हो गये उसकी कोई खबर नहीं ली।
इस संबंध में जब रूकमणी से बात की तो उसके आंख मे आंसू छलक आये और यह कहा कि ससुराल वाले कहते हैं कि तुम्हारे पिता ने जो शादी के समय कहा था उसे आज तक पूरा नहीं किया और उल्टे रूकमणी को पागल, बदचलन, बांझ जैसे शब्दों का प्रयोग कर उसे दुत्कारा जाता है। इसके बाद और बुराहाल जब हुआ, जब इसके अपनों ने ही साथ छोड़ दिया। इतने दिन चिकित्सालय में रहने के बाद पिता ने भी इसकी सुध नहीं ली और बेटी को उसी के हाल पर मरने के लिये छोड़ दिया। कलयुग में ऐसी घटनायें सुनकर दुख होता है कि जन्म देने वाला बाप भी बुरे वक्त में अपनी बेटी का हाल जानने नहीं पहुंचा और उसके हाल पर छोड़ दिया। आंखों में आंसू लिये रूकमणीन ने ईश्वर से प्रार्थना की कि उसे अंगले जन्म मोहे बिटिया न किजो, जो अपने भी बन गये पराये।
रूकमणी के पिता गंगा प्रसाद गुप्ता से बात करने पर बताया कि उसे इस बारे में कुछ नहीं पता था कि उसे कहां ले जा रहे है, एक बैन में कुछ लोगो के साथ जिनके साथ उसका पति राजेश भी था जिला चिकित्सालय अनूपपुर में ला कर छोड दिया और आज डेढ माह बीतने को आये किसी ने मुड कर सुध नही ली। भला हो जिला चिकित्सालय के डाक्टरों, नर्सों का जिन्होंने डेढ माह तक इसकी सेवा कर इसे इस योग्य बनाया कि आज वह अपने पैरों से चल सकती है।
वहीं रूकमणी के पडोस में रहने वाले अजय यादव ने इस दर्दनाक कहानी के बारे में बताया कि रूकमणी के ऊपर हो रहे अत्याचार की हालत देख कर उसके पिता से संपर्क किया और उन्हें बुलाया तो पता चला की पिता को कुछ पता नही था की उसकी बेटी डेढ माह से जिला चिकित्सालय में किसी अपने के आने का इंतजार कर रही है, पर हमे तब हैरानी हुई जब पिता ने बेटी की दुदर्शा देख कर उसके साथ खडे होने की जगह अपनी मजबुरियों का हवाला दे कर उल्टे भगवान से कहने लगा कि किसी को बेटी ना दें, इस तरह से पिता बेटी के बुरे वक्त में साथ छोंड कर चला गया।
जब रूकमणी के ससुराल वालों को पता किया गया तो ज्ञात हुआ कि ससुराल वाले सारा माकान किराये पर देकर कहीं और जा कर रहने लगे है,वहां पहुचने पर जो दिखा हैरान करने वाला था घर की बेटी डेढ माह से अस्पताल में है और सारे लोग अपने में मस्त है किसी को कोई मतलाब नही था। यहां तक कि उन्हें अपनी बहू की हालचाल जानने की जिज्ञासा नहीं थी । इस संबंध में उसके पति राजेश का कहना था कि हमने अस्पताल में भर्ती करवा दिया और देखने जाते है,जबकी लडके के पिता से बात की तो उसने अनजान बनते हुये कहा कि हमें नहीं पता कि बहु को क्या हुआ है।
जरूरी बात यह है कि जब डेढ माह से रूकमणी जिला चिकित्सालय में पड़ी रही उसकी खोज खबर उसके परिवारजनों ने नहीं ली, तो स्वयंसेवी संस्थायें व जिले का प्रशासनिक अमला संवेदनशील नहीं हुआ कि उस महिला की खोज खबर लेकर उसे उचित न्याय दिलायें। इससे ज्ञात होता है कि जिले का प्रशासनिक अमला लोगों के लिये कितना संवेदनशील है। कि इस महिला की खोज खबर नहीं ली और ना ही अपने आप को समाज का ठेकेदार लोग भी इस महिला की पीडा जानने की कोशिश नहीं की। अभी भी महिला जिला अस्पताल में डाक्टरों और नर्सों के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रही है।