भोपाल। सी पी आई (एम) केन्द्रीय समिति सदस्य एवं म.प्र. राज्य सचिव बादल सरोज ने मध्यप्रदेश के ताजा घटनाक्रम पर बयान जारी कर राज्यपाल से घोर असंसदीयता पर सार्वजनिक रूप राय रखने एवं सभी आरोपों की जांच के लिए आयोग गठन करने की मांग की है।
माकपा द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि - अविश्वास प्रस्ताव के बीच में ही विधानसभा को स्थगित करके मध्य प्रदेश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ा गया है। पिछले दस वर्षों में एक भी सत्र पूरा न करने का विचित्र कारनामा प्रदेश विधानसभा पहले ही दिखा चुकी है।
भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप कुछ नेताओं के बीच आपसी चुहल या कबड्डी की तरह पाला बदल देने का मामला नहीं है। यह जनता व प्रदेश के हितो से जुडा महत्वपूर्ण प्रश्न है-इसलिए इसे किसी मानहानि के नोटिस या सड़क पर किये गए प्रहसन के द्वारा निबटाया नहीं जा सकता।
राज्यपाल महोदय को चाहिए कि वे इस घोर असंसदीयता पर सार्वजनिक रूप से अपनी राय रखें और सरकार से कहें कि वह सभी आरोपों की जांच के लिए एक आयोग का गठन करे। इस आयोग को तीन महीने में अपनी आरम्भिक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए जाएँ। यदि राज्य सरकार ऐसा नहीं करती है तो स्वयं राज्यपाल को इस दिशा में कानूनी प्रावधान तलाशने चाहिए ।
भाजपा के एक और नेता पर लम्बे गंभीर दुराचरण के आरोपों पर पुलिस का रुख निंदनीय है। मध्य प्रदेश की पुलिस पूरी तरह सरकारी पार्टी के आगे नत-मस्तक हो चुकी है। यह पहली बार हुआ है जब प्रदेश की सत्ता पार्टी इस तरह के घोर पतित आरोपों से घिरे नेताओं के जमावड़े में बदल कर रह गई है और हास्यास्पद बनी हुई है। इसके लिए भाजपा कोई आत्म मूल्यांकन करे न करे मगर मेनन हो या कोई और ऐसे सभी आरोपियों को राघव जी की तरह जेल भेजा जाना चाहिए।