अनूपपुर(राजेश शुक्ला)। लिपिकों की बेमियादी हड़ताल से सभी शासकीय कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। जिले के लगभग सभी कार्यालयों में लिपिक वर्ग ना होने से कार्य में अधिकारियों को पसीना आ रहा है। हड़ताल में कलेक्टर, तहसील कार्यालयों सहित जिला शिक्षा अधिकारी, लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग के लिपिक शामिल हैं इसके अलावा सभी विभागों के लोग धरना स्थल पर अपनी आमद दे रहे हैं।
लिपिकों के ना होने से सभी प्रकार के प्रमाण पत्र बनना बंद हो गया है। बाबुओं की कुर्सी, टेबिले खाली पड़ी हुई है और विधानसभा द्वारा मांगे गये प्रश्रों के जवाब भेजनें में अधिकारियों को परेशान होना पड़ रहा है। इस हड़ताल का असर अब दिखाई देने लगा है, किंतु अधिकारियों के बुलावे पर कुछ बाबू उनकी चाकरी करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं, वे धरना स्थल पर अपनी आमद देकर दो पैसे के चक्कर में संगठन से गद्दारी कर कार्यालयों में काम कर रहे हैं।
सरकारी विभागों में लिपिक वर्ग के अनिश्चित कालीन हड़ताल के वजह से कार्यालयों के गलियारे सूने पड़े हैं। रोज दिखने वाली चहल-पहल नदारद है, सोमवार को काम काज के दिन हड़ताल का असर पूरी तरह दिखा। जिले के लगभग 20 विभागों के 284 लिपिक वर्ग इस हड़ताल में शामिल है कर्मचारियों ने अपने-अपने कार्यालयों में फाइलों को अलमारी में भर कर ताला जड़ दिया है, चाभी तो अफसरों के पास लेकिन कार्य की जिम्मेदारी उस बाबू के पास है जो हड़ताल में है। हालात ये है कि अफसरों को भी काम के लिये इन बाबुओं की हड़ताल खत्म होने तक इन्हें इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है। हड़ताल का सबसे ज्यादा असर कलेक्ट्रेट व तहसील कार्यालय में है इसके अलावा अन्य विभागों में भी है जहां आमजनों से जुड़े कार्य प्रभावित हो रहे हैं। रोज की तरह सोमवार को भी हितग्राही कार्यालयों के चक्कर लगाते रहें, किंतु बाबुओं की हड़ताल की वजह से वह दिनभर भटक कर वापस चले गये।
पांचवें दिन भी हड़ताल जारी
जिला मुख्यालय के सभी लिपिक जनपद पंचायत मुख्यालय के सामने पंडाल लगाकर अपनी मांगों के समर्थन में आज पांचवे दिन भी हड़ताल पर बैठे रहे, सरकारी लिपिकों के नेताओं ने प्रदेश सरकार की तीखी अलोचना की है। लिपिक संघ के जिलाध्यक्ष बाल गंधाधर सिंह सेंगर ने बताया कि यह हड़ताल हमारे जिले में पूरी तरह सफल है और अन्य कर्मचारी संगठन भी लिपिकों का साथ दे रहें हैं। जिससे आंदोलनकारियों को और सबल मिल रहा है।
इन कार्यालयों के बाबू हड़ताल पर
राजस्व विभाग, कोषालय, आ.ज.क.वि, पंचायत विभाग, खनिज विभाग, लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण योजना सेवा, जल संसाधन, शिक्षा विभाग, आईटीआई, उच्च शिक्षा, वनविभाग, उद्योग विभाग, आरटीओ, आबकारी, कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग आदि कार्यालयों के काम काज प्रभावित हो रहे हैं।
नहीं बन रहे हैं जरूरी प्रमाण-पत्र- इस महीने में नये शिक्षण सत्र प्रारंभ होता है जिसमें छात्रों को जाति, आय, निवास जैसे महत्वपूर्ण प्रमाण पत्रों की जरूरत होती है, परंतु लिपिकों के हड़ताल चले जाने से यह कार्य भी बुरी तरह प्रभावित है। जिसकारण से बच्चों के स्कूल, कालेजों में प्रवेश के लिये परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
खामियाजा उठाना पड़ सकता है सरकार को
लिपिकों के हड़ताल आज पांचवें दिन भी जारी हैं। इनके हड़ताल से शासकीय कार्यालयों के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इसके साथ ही विधानसभा सत्र प्रारंभ हो गया है। उनके जवाब भी ठीक ढंग से नहीं जा पा रहे हैं, एैसे में प्रशासनिक कार्यवाही अधिकारियों पर होगी जिसके जिम्मेदार यह लिपिक वर्ग होगा। जिनके पास सभी महत्वपूर्ण जानकारियां होती है, वे हड़ताल पर गये हैं और अधिकारियों के माथे में पसीना आ रहा है। समय रहते अगर सरकार नहीं जागी तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। चुनावी वर्ष होने के कारण लोगों के कार्य ना होने से इसका खामियाजा सरकार को भी उठाना पड़ सकता है। सरकार अगर समय रहते इनके मांगों पर विचार नहीं किया तो इसका असर चुनाव में देखने को मिलेगा।