मध्यप्रदेश के आईएएस अफसरों को नहीं चाहिए प्रधानमंत्री का पुरस्कार

भोपाल। उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना में मध्यप्रदेश के आइएएस अफसरों को कोई इंटरेस्ट नहीं है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश के 300 आईएएस अफसरों में से मात्र 6 ने ही इस पुरस्कार के लिए अप्लाई किया है।

राज्य सरकार को तय तिथि तक मात्र चार आवेदन मिले, इनमें तीन आईएएस ने व्यक्तिगत उत्कृष्टता और तीन आईएएस अफसरों ने सामूहिक उत्कृष्ट कार्य के लिए आवेदन दिए। सबसे ब़डी बात तो यह है कि इनमें दो आईएएस अफसर ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले साल भी इस पुरस्कार के लिए आवेदन किया था लेकिन केन्द्र की चयन कमेटी ने इनका आवेदन निरस्त कर दिया था।

इनमें जान किंग्सले तत्कालीन कलेक्टर हरदा, इन्होंने एसएमएस के माध्यम से किसानों को मंडी में बुलाकर गेहूं खरीदा था। दूसरे निशांत बरबड़े तत्कालीन होशंगाबाद कलेक्टर ने स्पर्श योजना चलाकर कुपोषित बच्चों के पोषण पर काम शुरू किया था। वहीं तीसरे आईएएस संजय गोयल ने इस बार दूसरे उत्कृष्ट कार्य के आधार पर आवेदन दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य महकमे के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण, स्वास्थ्य आयुक्त पंकज अग्रवाल के साथ सरदार पटेल नि:शुल्क दवा वितरण योजना को उत्कृष्ट कार्य बताते हुए आवेदन दिया है।

वहीं पहली बार राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय मिश्रा प्रोटोकाल अधिकारी ने भी इस योजना के लिए आवेदन किया है। इन्होंने प्रदेश में आने वाले अति विशिष्ट और विशिष्ट लोगों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए ई-प्रोटोकाल वेबसाइट तैयार की है।

यह है प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह हर साल 21 अप्रैल को सिविल सर्विस डे पर उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पुरस्कार देते हैं। यह पुरस्कार उन्हीं अफसरों दिया जाता है, जिन्होंने असाधारण और नव प्रवर्तनकारी कार्य किए हों। उन्होंने इस पुरस्कार की शुरआत 2007 में की थी। वैयक्तिक, समूह और संगठन श्रेणियों में अधिकतम 15 पुरस्कार दिए जाते हैं। इनमें वैयक्तिक को एक लाख, समूह को 5 लाख, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम एक लाख और संगठन को 5 लाख का पुरस्कार दिया जाता है।

दो आईएएस हो चुके हैं पुरस्कृत

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने वर्ष 2010 में प्रदेश के दो आईएएस अफसर संजय दुबे तत्कालीन कलेक्टर जबलपुर को अतिक्रमण हटाने और गुलशन बामरा तत्कालीन कलेक्टर बालाघाट को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने पर इस पुरस्कार से नवाजा था।

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