राजेश शुक्ला/ अनूपपुर। जैसे-जैसे नगरपालिका चुनाव की समय सीमा करीब आती जा रही है। वैसे-वैसे नगर में सियासी गर्मी बढ़ रही है। सभी पार्टियां प्रत्याशी चयन के लिये अंदर ही अंदर अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। कांग्रेस के नेता अपने कार्यकर्ताओं के बीच बैठकर इस बात की मंत्रणा कर रहे हैं कि वार्ड सहित अध्यक्ष का प्रत्याशी किसे बनाया जाये, कौन नगर के लिये अच्छा और मतदाताओं को रिझाने में सफल हो सकेगा।
वहीं भाजपा में गुटबाजी दिख रही हैं, जिससे अभी तक प्रत्याशी चयन के लिये स्वयं चुनाव लडऩे वाले लोग अपने आकाओं के दरवाजे की चौखट में अपना माथा रगड़ रहे हैं। नगर पालिका का चुनाव सितम्बर माह में होगा ।
यह नगर दो भागों में बटा है। एक भाग कांग्रेस का तो दूसरा भाजपा का गढ़ माना जाता है। बस्ती और बाजार में बटे होने के कारण बीच में चेतना नगर के वार्ड विकास की किरण से अछूते हैं। यहां पर दोनों ही लोग ध्यान नहीं देने के कारण जनता परेशान होती है। इस कार्यकाल मेें इस क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है, जबकि यह पूरा क्षेत्र सिविल लाईन व कई वार्डो का हिस्सा है। कांग्रेस की परिषद ने इन वार्डो के विकास पर ध्यान नहीं दिया और अब चुनाव के नजदीक आते ही इन वार्डो के चक्कर लगाना शुरू कर दिये हैं ताकि वह बता सकें कि चुनाव आ गये हैं। हम फिर आपके सामने हैं, लेकिन इस बार उन्हें अध्यक्षीय नहीं मिलेगी। पिछड़ा वर्ग होने के कारण उन्हें इस पद का मोह त्यागना पड़ रहा है। वैसे भी अगर पार्टी इन्हें दोबारा प्रत्याशी बनाती तो भाजपा को प्रचार करने की जरूरत भी नहीं होती और वह सत्ता पर आसानी से पहुंच जाते।
भाजपा एवं कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने बड़े नेताओं के पास हाजिरी लगाना शुरू कर दिया है। यह चुनाव विधानसभा चुनाव में भी अपना असर दिखायेगा। कांग्रेस इस चुनाव के लिये कमर कसी हुई है, इसके पूर्व जैतहरी नगर परिषद चुनाव में कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा को पटकनी दे चुकी है वो भी भाजपा के एक बड़े नेता को। पार्टी जैतहरी चुनाव से कार्यकर्ताओं को एकजुट रखे हुये है। यह एकजुटता अनूपपुर नपा चुनाव में भी देखने को मिलेगी। तो वहीं भाजपा की गुटबाजी सड़कों पर दिख रही है। इसी गुटबाजी के चलते पार्टी ने नगर परिषद जैतहरी के चुनाव मे पराजय का मुंह देखना पड़ा था। इस गुटबाजी में पार्टी के पूर्व विधायक के नाम की चर्चा जोरो से थी। चुनाव हारने के बाद पार्टी ने उन जयचंदों पर कोई कार्यवाही नहीं की जिस कारण से इन जयचंदों के भाव तेजी से बढ गये और संगठन में अपना रूतवा बढाने लगे। भाजपा को अपने पार्टी के अंदर रहकर नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं को पहचान कर पहले किनारे करना पडेगा और इस गुटबाजी को समाप्त कर जनता के बीच जाकर एकजुटता दिखानी होगी।
कांग्रेस में नपा अध्यक्ष के लिये प्रमुख दावेदारों में रामखेलावन राठौर एवं निरंजन यादव का नाम जोरों से चल रहा है, यही दो लोगों ने अभी तक पार्टी के अंदर अपनी दावेदारी पेश की है। वहीं तीसरे और चौथे दावेदार के रूप में वार्ड नं. ६ के पार्षद योगेन्द्र राय, विनोद सोनी भी अपनी दावेदारी पेेश कर रहे हैं। विनोद सोनी एक मिलनसार व ईमानदार के साथ एक अच्छे कार्यकर्ता हैं । नगर के लोगों के बीच इनकी अच्छी पैठ है। इन्हें भी प्रत्याशी बनाकर पार्टी दांव खेल सकती है। पार्टी किसे अपना प्रत्याशी बनाती है यह तो समय बतायेगा। भाजपा में दावेदारों की लंबी सूची है जिसमें कई बार पार्षद रहे छोटेलाल पटेल, श्रीमती मीना सोनी, प्रवीण चौरसिया, हरिओम ताम्रकार, राजेश शिवहरे एवं जितेन्द्र सोनी ने अपनी दावेदारी पेश की है। अब पार्टी को चुनना है कि जनता के बीच इन दावेदारों में किसकी छवि अच्छी है, कौन पार्टी को जिता सकता है। यह निर्णय पार्टी लेगी।
कांग्रेस रामखेलावन राठौर या निरंजन यादव में किसी एक को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाती है तो भाजपा के पास अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदारों में श्रीमती मीना सोनी एक अच्छी साफ सुथरी छवि वाली महिला को प्रत्याशी बनाकर मतदाताओं के बीच पेश कर सकते हैं, दूसरे दावेदार जितेन्द्र सोनी है जो युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष दूसरी बार बनने का गौरव हासिल किया है, किंतु इनकी छवि जनता की बीच कोई खास नहीं है। ये विशेष क्षेत्र के ही नेता हैं। छोटेलाल पटेल को अगर पार्टी अपना प्रत्याशी बनाकर जनता के सामने उतारती है तो इनकी छवि ईमानदार, मेहनती की है। जिन्हे वार्ड क्रं. १० से १५ तक के मतदाता भलीभांति परिचित है।
अन्य वार्डो में भी पार्टी के माध्यम से इनकी पहचान कराकर पार्टी आसानी से यह सीट हासिल कर सकती है, परंतु भाजपा में बढ़ रही गुटबाजी के कारण नपा अध्यक्ष के टिकट के लिये काफी मसक्कत होगी। पार्टी से छुटभैये नेता भी इसके लिये अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। एैसे में इन्हें पार्टी को कैसे किनारा करना है यह तो पार्टी जानती है। कई गुट में बटी भाजपा को पहले एक करना पडेगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा ने पूर्व विधायक को नपा अनूपपुर की जिम्मेदारी सौंपी है जो इस चुनाव में पूरी हिस्सेदारी निभायेंगे और गुटों में बटी पार्टी को एककर विधानसभा चुनाव तक एक रखने की जिम्मेदारी होगी। जो स्वयं एक गुट का हो उसे गुटबाजी समाप्त करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह इस चुनाव में दिखेगा।
कांग्रेस के दिग्गज अनूपपुर नगर पालिका में कब्जा बनाये रखने के लिए पूरा प्रयास करेंगे तो भाजपा को गुटबाजी समाप्त कर इस सीट पर कब्जा जमाना उनके लिये नाक का सवाल होगा। वहीं भाजपा अगर एकजुट हो जाती है तो कांग्रेस को भी नाकों चने चबा सकती है, चूकि इन दिनों कांगे्रस की परिषद ने अपने कार्यकाल में कई घोटाले किये हैं जिसके कारण उन्हें न्यायालय के भी चक्कर लगाने पड़े हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में विकास के नाम पर कोई खास कार्य नहीं हुआ है, वैसे इनका कार्यकाल १ से ८ वार्डो तक सीमित रहा जिसका खामियाजा इस चुनाव में उठाना पड़ सकता है। भाजपा इन्हीं मुद्दो को लेकर एकजुट होकर अगर मैदान में आई तो अन्यथा एकबार फिर नगर की जिम्मेदारी कांग्रेस के हाथों मेें होगी जिसे रोक पाना भाजपा नेताओं में नहीं होगा।
भाजपा और कांगे्रस दो ही प्रमुख पार्टियां इस चुनाव में आयेंगी अन्य दल भी होंगे, परंतु यह जीतने की स्थिति में नहीं होंगे इसलिये मतदाता इन्हीं दोनों दलों के बीच फैसला करेगी।