पैसे-पैसे, उठता गिरता रुपया

राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश के पूर्व वित्तमंत्री राघव जी गिरफ्तारी से दुखी, शेयर बाज़ार में काफी दखल रखने वाले एक मित्र  शाम 5 बजे बहुत खुश दिखे| खुशी का कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि “रुपया संभल गया” और ज्यादा कुरेदने पर कहा कि रोज़-रोज़ गिरता रुपया आज थोडा मजबूत होकर उभरा है| वो बेचारे यह नहीं बता सके कि अंतर्राष्ट्रीय कारणों के अलावा वो देसी कारक कौन से हैं जो रुपया को संभलना देना नहीं चाहते हैं|

जानकार मित्रों का कहना भारत में चुनाव आ रहे हैं और चुनाव तक डालर की कीमत राजनीतिक दल 80 रूपये तक गिरा दें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए, कारण पिछले चुनाव से अब तक करोड़ो बल्कि अरबों डालर 50-55 रूपये के भाव से टैक्स हेवेन देशों में जमा किये गये हैं | चुनाव में खर्च कैसे होते हैं , इसका खुलासा गोपीनाथ मुंडे कर ही चुके है| अब 50-55 के बदले 70-80 मिल जाएँ तो क्या बात है ? देश तो भगवान भरोसे चल ही जायेगा|

1947 जैसी आदर्श स्थिति अर्थात 1 रुपया = 1 डालर तो अब आने से रही| अब तो भारत में प्रवचनकार भी अपनी फ़ीस डालर में तय करने लगे हैं| अमेरिका या यूरोप के कारण कम हमारी मुद्रा हमारे अपने कारणों से ज्यादा तेज़ी से गिरती और संभलती है|

  • लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
  • संपर्क  9425022703 

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