भोपाल। कॉलेजों में एडमीशन आखिरी दौर में है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आनलाइन एडमीशन की दो चरणों में प्रक्रिया पूरी हो गई है। अब कॉलेज स्तरीय प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। दो चरण में संचालित की गई आनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के बाद अभी भी पचास फीसद सीटें खाली रह गई हैं।
अब इन सीटों को कॉलेजों में शुरू हुई प्रवेश प्रक्रिया में भरे जाने की संभावना बताई जा रही है। राजधानी के सरकारी कॉलेजों के स्नातक(पीजी) स्नातकोत्तर(पीजी) कोर्स की सिर्फ पचास फीसद सीटों पर ही छात्र-छात्राओं ने एडमिशन लिया है। अभी तक यूजी कोर्स में एक लाख 68 हजार 483 विद्यार्थी प्रवेश ले चुके हैं। वहीं, पीजी में 32 हजार 604 छात्र- छात्राओं के प्रवेश हो चुके हैं। जबकि सीटें करीब साढ़े चार लाख हैं।
विभाग द्वारा संचालित आॅनलाइन प्रवेश प्रक्रिया रजिस्ट्रेशन टाइम पर रुझान दिखा था। दोनों चरणों की काउंसलिंग में यूजी व पीजी के लिए लाखों विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कर मूल दस्तावेजों का सत्यापन कराया। जब कॉलेजों एडमिशन लेने की बारी आई तो इन्होंने रुचि नहीं दिखाई। इसके चलते यूजी व पीजी दोनो के कोर्स में आधी सीटें खाली हैं। अब कॉलेज प्राचार्य व अधिकारी कॉलेज स्तरीय
प्रक्रिया में सभी सीटें भरे जाने की संभावना जता रहे हैं। अब अधिकारियों का कहना है कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में रूचि लेने के कारण, उच्च शिक्षा के अंतर्गत आने वाले कोर्सों में प्रवेश नहीं ले रहें हे। बताया गया कि भरी गई सीटों में विद्यार्थियों ने सबसे ज्यादा प्रवेश वोकेशनल कोर्सों में ही लिया है। क्यों है इतनी सीटें खाली अधिकारियों का कहना है कि इन सीटों के खाली रहने का कारण कॉलेजों में अधिक संख्या में सीटें खाली रहना। कॉलेज संचालकों ने बेवजह सीटें बढ़ा रखी है।
जबकि वे जानते हैं कि इतनी सीटें खाली रह जाएगी। कई कॉलेजों ने एमएम, एमएससी के एक ही विषय में सौ सीटें ले रखी हैं, जबकि विद्यार्थी इनमें से ज्यादा से ज्यादा बीस से तीस सीटों पर प्रवेश लेते हैं। वहीं संचालक सीट कम करने के पक्ष में भी नहीं होती। इसका प्रभाव प्रदेश या संभाग स्तर पर परखी जाने वाली गुणवत्ता पर भी पड़ता।