यदि सरकार टैक्स हटा दे तो 44.98 रुपए प्रतिलीटर हो जाएगा पेट्रोल

भोपाल। एक बार फिर पेट्रोल की कीमतें बढ़ा दीं गई। अब तो विपक्ष भी विरोध नहीं करता। सरकार धीरे धीरे करके जनता की जेब काट रही है और कहीं कोई आवाज ही नहीं उठती। लोग मजबूर हो गए हैं ओर एक आसान सा केल्कुलेशन भूल गए हैं कि सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 27.97 रुपए टैक्स वसूल रही है। जब जब कीमतें बढ़तीं हैं, टैक्स अपने आप बढ़ जाता है। यदि यह टैक्स हटा दें तो भोपाल में पेट्रोल की कीमत 44.98 रुपए रह जाएगी।

उक्त जानकारी देते हुए अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय सचिव अशोक त्रिवेदी 08055874124 ने बताया कि ग्राहकों को सरकार की मेहरबानी के कारण पैट्रोल की भारी कीमत चुकानी पड़ती है। आज कल सरकार द्वारा कभी भी पैट्रोल, डीजल तथा रसोई गैस की कीमतें बढाना आम बात हो गई है। कभी कच्चे तेल की मूल्य वृध्दि को लेकर, तेल की बढ़ती खपत के कारण तो कभी डालर की तुलना में रूपए की गिरती कीमतों के कारण।

आज कल सरकार के सिर पर 2014 के चुनावों के कारण ‘‘खाद्य सुरक्षा विधेयक’’ का जो भूत चढ़ा हुआ है, उसके कारण सरकार पैट्रोल की कीमतें बढ़ाने में पूरी तरह मुस्तैद है। जबकि यह कहना युक्ति संगत नहीं है कि उपरोक्त सभी कारणों से ही पैट्रोल की कीमतों में वृध्दि हो रही है। सरकार कारण बताने तथा बहाने बनाने में खासी मुस्तैदी दिखती है।
पैट्रोल की कीमतों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल तथा रूपए की गिरती बढ़ती कीमतों से बचाने के लिये, कई वर्ष पहले सरकार ने ‘‘आईल रिजर्व पूल’’ बनाकर ग्राहकों से हजारों करोड़ रूपया इकट्ठा किया था। ग्राहकों का यह पूरा का पूरा पैसा सरकार पहले ही डकार चुकी है और आइल रिजर्व पुल भंग कर चुकी है।

सरकार पैट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के लिये बहुत ही सधे हुये कदम उठाती है और यह प्रदर्षित करती है कि उसे कच्चे तेल के आयात पर दी जाने वाली सरकारी रियायत के बढ़ने के कारण, मजबूरी में ये कदम उठाने पड़ रहे हैं। यह तर्क सही नहीं है। सच्चाई तो यह है कि सरकार बड़ी चालाकी से पैट्रोलियम पदार्थों पर दिये जाने वाले अनुदान को ग्राहकों से टैक्स के माध्यम से वसूल लेती है।

कीमतें निर्धारित करने के सूत्र के अभाव में सरकार द्वारा उठाये कदम संशय पैदा करते है। सरकार को ग्राहकों की वास्तव में चिन्ता करनी चाहिए और उसे पैट्रोलियम पदार्थों की कीमत निर्धारण के सम्बन्ध में उचित, पारदर्षी नीति प्रकाशित, प्रचारित करना चाहिए।

अनेक अवसरों पर ग्राहक पंचायत ने सरकार से निवेदन किया है कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आने वाले उतार/चढ़ाव को, पैट्रोलियम पदार्थों पर लिये जाने वाले उच्च दर के करों में समायोजन करे क्योंकि पैट्रोल की कीमतें ग्राहकों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं, परन्तु सरकार इस बात पर गम्भीर न होकर, ग्राहकों की चिन्ता करने का ढोंग कर रही है।

यदि सरकार वास्तव में मजबूर होती तो लुक छिप कर कदम उठाने के बजाय उसे पैट्रोलियम पदार्थों पर, पारदर्शी नीति बनाकर सार्वजनिक करना चाहिए, वर्तमान की तरह उसे गोपनीय बनाये रखना उचित नहीं है।

आपनी बात ग्राहकों को समझाने के लिये हमारे पास कुछ आंकड़े हैं-

अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम यूएस डालर 83.92 प्रति बैरल अर्थात रूपए 4987.36/-(83.92X59.43 रूपए विनिमय दर)

1 बैरल   158.76 लीटर
कच्चे तेल का प्रतिलीटर दाम   31.41 रूपए
प्रति लीटर रिफाईनिंग खर्च   0.52 रूपए
रिफाईनरी की पूंजी लागत खर्च   6.00 रूपए
यातायात खर्च 6.00 रूपए
डीलर कमीषन 1.05 रूपए
पैट्रोल की कीमत प्रति लीटर 44.98 रूपए

सरकार इस कीमत के स्थान पर ग्राहकों से 72.95 रूपए प्रतिलीटर भोपाल में वसूल रही है। रूपए 44.98 के बाद वसूला गया प्रत्येक पैसा ग्राहकों से तमाम करों के रूप में वसूला जाता है। 
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