भोपाल। उद्घाटन के ढाई साल बाद भी कुशाभाऊ ठाकरे इंटर स्टेट बस टर्मिनस (आईएसबीटी) से इंटर स्टेट बसों की आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है। वहीं, दूसरी तरफ राजधानी के ही हलालपुरा, होटल पलाश और बोर्ड आफिस चौराहे से इक्का-दुक्का इंटर स्टेट बसें चलाई जा रही हैं। इनका संचालन भी अवैध रूप से हो रहा है।
इस कारण आईएसबीटी का वजूद खत्म हो रहा है, जिस उद्देश्य को ध्यान में रखकर इसका निर्माण किया गया था। वह पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा है। यहां से नाम मात्र के लिए दो इंटर स्टेट बसों का संचालन किया जा रहा है। इस कारण दूसरे राज्यों के यात्रियों को ट्रेनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
स्टैंड हैं पर बसें नहीं
आईएसबीटी पर नाम मात्र की बसों का संचालन हो रहा है। यहां से रायसेन- भोपाल, बेगमगंज-भोपाल, सागर- भोपाल, छतरपुर-भोपाल, सतना- भोपाल, रीवा-भोपाल आदि स्थानों के लिए बसें चलनी चाहिए, जोकि नादरा बस स्टैंड से चल रही हैं।
राशि को लेकर थी खींचतान
आईएसबीटी के संचालन और रखरखाव की राशि को लेकर नगर निगम और बीडीए के बीच खींचतान चल रही थी। बताया गया है कि नगर निगम ने संचालन के लिए बीडीए से तीन करोड़ रुपए मांगे, जबकि बीडीए एक साल तक इसके संचालन और रखरखाव के लिए एक करोड़ रुपए दे चुका है। नगर निगम सूत्रों के अनुसार आवास एवं पर्यावरण विभाग तीन करोड़ रुपए देने को सहमत हो गया है। गौरतलब है कि पिछले साल एक नवंबर को मुख्यमंत्री ने आईएसबीटी का उद्घाटन किया था, लेकिन संचालन को लेकर खींचतान के कारण यहां से बसें नहीं चल पा रही थीं।
नहीं होती नियमित निगरानी
प्रशासन ने बस स्टैंडों की निगरानी के लिए मॉनीटरिंग कमेटी बनाई थी, जिसमें नगर निगम अपर आयुक्त प्रमोद शुक्ला, आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन के अधिकारी शामिल थे। इन्हीं को बस स्टैंडों की निगरानी कर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए थे।
आदेश का नहीं होता पालन
26 अगस्त 2011 को जिला प्रशासन ने एक आदेश जारी कर बस संचालकों से कहा था कि वे तय बस स्टैंड से बसें चलाएं। आदेश में यह भी कहा गया था कि यदि बसों का संचालन अन्य रूट के बस स्टैंड से चलती है तो बस का परमिट भी रद्द किया जा सकता है।