राणा को सरकारी बंगला नहीं दिया, इसलिए पड़ा था आईएएस राजौरा के यहां आयकर का छापा

भोपाल। मध्यप्रदेश की जबलपुर स्थित हाईकोर्ट में आज आयकर विभाग की जो थू थू हुई है वह एतिहासिक है और शायद इससे पहले कभी नहीं हुई। आयकर विभाग ने आईएएस अधिकारी राजेश राजौरा के यहां छापा केवल इसलिए मारा था क्योंकि उन्होंने आयकर अधिकारी राणा को सरकारी बंगला आवंटित नहीं किया था।

हाईकोर्ट जबलपुर ने मप्र कॉडर के आईएएस व तत्कालीन गृह सचिव राजेश राजौरा को आयकर छापे मामले में क्लीनचिट दी है। हाईकोर्ट की युगलपीठ के न्यायाधीश कृष्ण कुमार लाहोटी एवं न्यायाधीश एमए सिद्दीकी ने राजौरा के निवास पर आयकर विभाग द्वारा मारे गए छापे की कार्यवाही को अवैध घोषित करते हुए उसे रद्द करने के आदेश दिए हैं।

डॉ.राजौरा की याचिका दायर कर कार्यवाही को दुर्भावनापूर्ण बताया था। हाईकोर्ट युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन संचालक डॉ. योगीराज शर्मा के यहां सितंबर 07 में मारे गए आयकर छापे में एक कागज के असम्बद्घ टुक़डे को आधार बनाकर आईएएस राजौरा के चार इमली स्थित शासकीय निवास पर छापामार कार्यवाही की गई थी। इसमें आयकर विभाग को राजौरा के घर से 27 हजार 767 रुपए नकद, 435 ग्राम सोने के जेवर एवं 2 लाख रुपए की अन्य बहुमूल्य सामग्री के साथ 31 पेज मिले थे। इनमें 25 पेज आफिशियल पासपोर्ट की छायाप्रति और 6 पेज रद्दी शामिल थे।

युगलपीठ ने कहा कि आयकर विभाग ने पंचनामा में जो भी सामग्री अंकित की है उन सभी को राजौरा ने आयकर रिटर्न में दाखिल कर रखा है। आयकर विभाग की कार्यवाही संदेह के आधार पर नहीं की जा सकती थी। उसके लिए संतुष्टि पर पहुंचना जरूरी था। आदेश में यह भी कहा गया है कि आयकर अफसरों को कोई स्वेच्छाचारी प्राधिकार अधिनियम के अंतर्गत नहीं दिया गया है।

मकान आवंटन विवाद में जारी किया सर्च वारंट

हाईकोर्ट ने कहा कि आवास आवंटन विवाद के चलते आयकर विभाग ने पुख्ता तथ्यों के बगैर यह कार्यवाही की। आयकर अधिकारी एसएस राणा ने 23 जनवरी 08 को शासकीय आवास आवंटन के लिए आवेदन किया था। उस समय गृह विभाग के सचिव पद पर राजौरा थे।

आवास आवंटन नियम में आयकर अधिकारी की पात्रता न होने के कारण यह आवेदन राजौरा के पास 4 माह तक रखा रहा। इसके बाद आयकर अधिकारी राणा ने सीधे मुख्यमंत्री को आवेदन किया, जिस पर मुख्यमंत्री ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग कर उन्हें 20 मई 08 को शासकीय आवास आवंटित कर दिया। इसके तत्काल बाद संचालक अन्वेषण आयकर भोपाल ने 28 मई 08 को सर्च वारंट जारी कर दिया और 30 मई को राजौरा के घर छापामार कार्यवाही की गई।

कागज में लिखे शब्द का अर्थ गलत निकाला

तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा के निवास पर 07 में छापे में मिले कागजों में से एक कागज में अफसरों को दिए गए कमीशन का ब्यौरा था। आयकर विभाग ने इसी कागज का उपयोग राजौरा के यहां सर्च वारंट के लिए किया था। कागज में एक स्थान पर 'ईटीसी' यानि एक्सट्रा लिखा था, जिसे आयकर विभाग ने 'सीएच' यानि हेल्थ कमिश्नर मानते हुए राजौरा के निवास पर आठ माह बाद छापे मारे। राजौरा ने अपने बचाव में उक्त कागज पर लिखे शब्द की जांच ट्रूथ लैब नई दिल्ली से करवाई। जिसमें लैब ने कहा कि यह शब्द सीएच नहीं बल्कि ईटीसी है।
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