भोपाल। उत्तराखंड में आजकल देश भर की सरकारें शक्तिमान की तरह उत्तराखंड के पहाड़ों पर जा रहीं हैं और अपने अपने नागरिकों को पहचान पहचान कर वापस ला रहीं हैं। इसके बाद लिस्ट जारी होती है कि हमने कितनों को बचाया परंतु सवाल यहां खड़ा हो गया कि जो लोग सूची में दर्ज हैं वो अपने घर तक अब तक नहीं पहुंचे।
देश में शायद यह पहली बार हो रहा है कि देश के किसी हिस्से में आपदा आई हो और देश भर की तमाम राज्य सरकारें एक साथ वहां राहत कार्यों में जा जुटीं हों, लेकिन देश में यह भी पहली ही बार हो रहा है कि राज्य सरकारें उत्तराखंड में लोगों को बचाने के बजाए, अपने अपने राज्यों में राहत कार्यों के प्रचार प्रसार पर ज्यादा ध्यान दे रहीं हैं। मोदी और शिवराज इसमें सबसे आगे हैं।
यह आरोप इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि रेस्क्यू कर लाए गए उमेश कुमार के परिजनों के नाम सूची में तो दर्ज हैं परंतु वो किसी भी केंप में दिखाई नहीं दे रहे। उमेश ऋषिकेश में भटक रहे हैं। वहां मौजूद मध्यप्रदेश का राहत दल उनकी कोई मदद नहीं कर रहा है। बस अपनी सूची में दर्ज कर दुनिया को यह बताया जा रहा है कि उमेश के परिजनों को हमने बचा लिया है।
सरकार अपनी पीठ थपथपाने के लिए बचाकर लाए जा रहे यात्रियों का ब्यौरा तो इंटरनेट पर डाल रही है मगर यह नहीं बता रही कि यात्रियों को रेस्क्यू के बाद कहां भेजा रहा है। हर्षल के अनुसार यात्री हेलीकाप्टर से लाए गए या बसों से ऐसी भी जानकारी सरकारी एजेंसियों के पास नहीं है। ऐसे में रेस्क्यू कर लाए गए यात्रियों की सूची पर भी प्रश्न चिह्नि लग रहा है।