नितिन दत्ता/तामिया(छिंदवाडा)। सतपुडा अंचल में बसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर तामिया अंचल में अब जबकि भारी मात्रा में जंगल कट चुके हैं तो विभाग की नींद खुली और उसने अपने ही विश्राम गृह के पास अपने विभागीय अधिकारियों को चकमा देते हुए प्रतिबंधित क्षेत्र संबंधी सूचना का फलक लगाया है। मजेदार बात तो यह है कि इस सूचना फलक की कोईकद्र नहीं है और लोग आज भी बेखौफ होकर जंगल में प्रवेश कर रहे हैं।
तामिया सतपुड़ा की घाटियों में बसा हुआ प्राकृतिक सौंदर्य और संसाधनों से भरपूर क्षेत्र है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां जंगल की कटाई खुलेआम होने से, सिर गट्ठा के माध्यम से सैंकड़ों आदिवासी महिलाओं द्वारा भारी मात्रा में लकडी का परिवहन करने से जंगल साफ हो रहे हैं. हालत यह है कि कई जगह टीले दिखाई पड रहे हैं. अधिकारी विश्राम गृह तक सीमित है, क्योंकि कर्मचारी उन्हें आगे बढ़ने नहीं देते।
एक अनुमान के अनुसार तामिया में लगभग 200 आदिवासी महिलाएं प्रतिदिन जंगल में प्रवेश कर सिर गठ्ठा लाती है ये लकड़ी यहां के होटलों और ढाबों में देखी जा सकती है. कर्मचारी फील्ड में न जाकर ऑफिस पहुंचकर औपचारिकता का निर्वहन कर रहे हैं। इधर बारिश के दिनों में तामिया से तुलतुला घाटी में भू-स्खलन से सैकड़ों की संख्या में पेड़ बह जा रहे है। इन्हें भी कोई रोकने वाला नहीं है।
हालांकि वनविभाग ने प्रतिबंधित क्षेत्र कहकर सूचना फलक तो लगा दिया लेकिन विभागीय कर्मचारी जंगल में जाने वालों को नहीं रोक पा रहे हैं. बोर्ड के बगल में लगे नीलगिरी के पेड. भी पिछले दो दिनों से काटे जा रहे है. कहा जा सकता है कि तामिया का वनविभाग सूचना फलक लगाकर औपचारिकता निभा रहा है, उसे न तो वृक्षारोपण और न ही क्षेत्र में लगे जंगल बचाने की चिंता है।
उधर तामिया में चरनोई की जगह नहीं होने से पशुपालक खुलेआम जंगल में अपने पशु को लेकर चराने जा रहे है. इससे भी जंगलों को नुकसान हो रहा ,है लेकिन विभाग के द्वारा कोईकदम नहीं उठाने से क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा नष्ट हो रही है. उम्मीद की जानी चाहिए कि विभाग की नींद जल्द खुलेगी.