मध्यप्रदेश के लापता तीर्थयात्रियों की कोई मदद नहीं कर रहा राहत दल

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भोपाल। उत्तराखंड में फंसे मध्यप्रदेश के नागरिकों की मदद के लिए इधर मुख्यमंत्री बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं और उधर उत्तराखंड में मौजूद राहत दल सीएम की खिल्ली उड़ा रहा है। वो सीएम की तमाम बातों के विपरीत लापता तीर्थयात्रियों के परिजनों को कोई मदद उपलब्ध नहीं करा रहा है।

इसका खुलासा एक बार फिर तब हुआ जब परिजनों ने आपबीती सुनाई। प्रियदर्शिनी नगर निवासी शारदा मौर्य का परिवार इस समय गहरे संकट में है। श्रीमती मौर्य के पिता राम अवध, मां श्यामा समेत परिजन रामजग मौर्य, सीता व सूरजा मौर्य से इनकी बात बीते 16 जून को हुई थी। इसी दिन केदारनाथ में आपदा बरपी और इसके बाद से अब तक इनमें से किसी से संपर्क नहीं हो सका।

अब शारदा मौर्य के परिवार के राजेश शाक्य, भाई उमाकांत व रमेश उन्हें खोजने निकले हैं। उन्होंने फोन पर बताया कि वहां वे मप्र के कई अफसरों से मिले तो वे एक-दूसरे के पास भेज देते हैं, परंतु कोई उनकी मदद नहीं कर रहा।

वहीं, चौबदारपुर के आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि केदारनाथ त्रासदी के इतने दिन बाद भी उनके छह परिजन अब तक नहीं मिले हैं। मिनाल रेसीडेंसी निवासी अपूर्व के परिवार के भी छह सदस्य व सेमरा निवासी चंद्र शेखर मिश्रा के चार परिजन भी अब तक लापता हैं। दुर्गेश विहार के रवि सोनवानी के परिवार के भी 5 सदस्य अब तक नहीं मिले हैं। इधर, गुरुवार को देहरादून से सुबह नौ बजे एक विमान प्रदेश के तीर्थ यात्रियों को लेकर रवाना होगा।

सनद रहे कि इस मामले में सबसे पहले भोपालसमाचार.कॉम ने उत्तराखंड में मौजूद राहत दल को मध्यप्रदेश के लापता तीर्थयात्रियों की जानकारी देने की प्रक्रिया प्रारंभ की थी परंतु उन्होंने किसी भी सूचना पर कोई कार्रवाई नहीं की। अंतत: भोपालसमाचार.कॉम से बातचीत के दौरान अफसरों ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि हम पहाड़ों में फंसे यात्रियों की कोई मदद नहीं कर सकते, यदि वो सकुशल हरिद्वार तक आ जाएं तो हम उन्हें भोपाल या इन्दौर पहुंचाने में मदद कर पाऐंगे।

यहां बताना जरूरी है कि उपरोक्त सभी सूचनाएं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय को भी भेजी गईं और वहां से ना केवल सहानुभूतिपूर्वक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं बल्कि सूचनाएं सेना तक भेजी गईं और हनुमान चट्टी में फंसे 80 मध्यप्रदेशवासियों को सकुशल बचाया जा सका।

मध्यप्रदेश के अखबारों में भले ही राहत दल के विषय में गुणगान प्रकाशित होता रहे परंतु आखों देखी तो यही है कि एक बार फिर संवेदनहीन अफसरों ने सीएम की मंशा पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है।

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