भोपाल। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतराज व्यवस्था के तहत् नियुक्त संविदा शिक्षक और अध्यापक समान कार्य समान वेतन और शिक्षा विभाग में संविलियन की मुख्य मांगों को लेकर 15 जून से पुनः आंदोलन खड़ा कर सकते हैं जिससे 17 जून से प्रारम्भ होने वाला स्कूल चलें हम अभियान खटाई में पड़ सकता है।
राज्य अध्यापक संघ मप्र के मंडला जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर व सचिव रवीन्द्र चैरसिया ने संयुक्त विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रदेश में कार्यरत लगभग ढ़ाई लाख अध्यापक, संविदा शिक्षक व गुरूजी समान कार्य समान वेतन और शिक्षा विभाग में संविलियन की मुख्य मांग 14 जून तक पूरी नहीं होने पर 15 जून से पुनः आंदोलन का आगाज करेंगें और स्कूलों में लटके ताले नहीं खुलेंगे।
उल्लेखनीय है कि अध्यापक संविदा संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय आव्हान पर फरवरी मार्च माह में हुये आंदोलन में सरकार ने अध्यापकों को शिक्षक संवर्ग के समान वेतन देने का मन बनाया था एवं एक सप्ताह के अंदर अध्यापकों की मांगों पर विचार करने के आश्वासन के बाद हड़ताल स्थगित कर दी गई थी। तब से अब तक सरकार ने मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ संवाद तो जारी रखा पर समान कार्य समान वेतन बाबद् कोई आदेश जारी नहीं किय गये। सरकार के साथ वार्ता के चलते मोर्चा ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर आठ साल की सेवा पूर्ण करने वाले अध्यापकों को शिक्षकों के समान वेतन की बात को नकारते हुये सभी को समान वेतन की मांग 2 बराबर किश्तों में दिये जाने पर अपनी सहमति प्रदान कर दी है।
मोर्चा ने सरकार के समक्ष यह भी स्पष्ट कर दिया है कि छत्तीसगढ़ की भांति म.प्र. में सहायक अध्यापकों के वेतनमान में विसंगति स्वीकार्य नहीं होगी। ज्ञातव्य हो कि मोर्चा ने नियुक्ति दिनांक से शिक्षक के समान वेतन की काल्पनिक गणना कर वेतन की मांग का प्रस्ताव सरकार को दिया है जिसमें सहायक अध्यापक को 13500 से लेकर 25200, अध्यापक को 22200 से 31450 व वरिष्ठ अध्यापक को 22900 से 35300 रूपये का वेतन प्रस्तावित है। प्रस्तावित वेतनमान में वरिष्ठ पद की क्रमोन्नति को शामिल किया गया है। मोर्चा ने पुरानी पेंशन योजना, वरिष्ठ अध्यापक को पदोन्नति और स्थानांतरण नीति लागू करने की भी मांग उठाई है। संघ की जिला इकाई ने स्कूल शिक्षा विभाग के अध्यापकों की भंाति ट्रायवल विभाग के अध्यापकों का वेतन भी शून्य बजट में दिये जाने बाबद् पत्र शासन को लिखा है।