मोदी के मुकाबले बहुत पीछे रह गए शिवराज

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की बराबरी पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खड़ा करने की चल रही कोशिशों को एक बार फिर करारा झटका लगा है। इतना ही नहीं अंदरूनी तौर पर चलने वाली रेस में चौहान मोदी के मुकाबले काफी पीछे छूटते नजर आ रहे हैं।

भाजपा के भीतर जारी खेमेबाजी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान और गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी का अलग-अलग गुटों से नाता है। यही कारण है कि मोदी और चौहान में बेहतर कौन, इसकी जंग जारी रहती हैं। दोनों के समर्थक मोदी व चौहान को अपने-अपने तरह से बेहतर बताने में लगे रहते हैं।

हालिया मामला ग्वालियर का है, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने खुले तौर पर चौहान की सराहना कर डाली। आडवाणी ने बगैर किसी संदर्भ के मध्यप्रदेश के विकास की तुलना गुजरात से की। इसके चलते भाजपा में तूफान खड़ा हो गया, और बाद में पार्टी के कई नेताओं को सफाई तक देनी पड़ी।

भाजपा की गुटीय राजनीति को देखने के लिए कुछ पीछे जाएं तो भाजपा के नए अध्यक्ष के तौर पर राजनाथ सिंह के कमान संभालने के बाद संसदीय बोर्ड की सदस्यता के लिए मोदी के साथ चौहान का नाम भी उछाला गया, मगर बात नहीं बनी। मोदी तो संसदीय बोर्ड में पहुंच गए, मगर चौहान बाहर ही रहे। अब मोदी को भाजपा की चुनाव प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने से चौहान उनके मुकाबले काफी पीछे हो गए हैं।

राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री, बाबूलाल गौर ने मोदी की जमकर सराहना की है। वह कहते हैं कि मोदी देश के ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने गुजरात में आतंकवाद व भ्रष्टाचार को खत्म किया है। दूसरा कोई ऐसा राज्य और मुख्यमंत्री नहीं है।

पहले संसदीय बोर्ड में स्थान पाने और अब चुनाव प्रचार अभियान समिति का चेयरमैन बनाए जाने से मोदी, चौहान से काफी आगे निकल गए हैं। लेकिन देखना अब यह है कि चौहान के जरिए राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले बड़े नेता कौन-सी नई चाल चलते हैं।

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