ऋणों से मुक्ति दिलाते हैं ऋण मुक्तेश्वर महादेव: कल्चुरीकालीन शिवमंदिर की कथा

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भोपाल। मध्यप्रदेश के डिण्डौरी जिले में कल्चुरी कालीन भव्य शिवमंदिर है। यह शिव मंदिर ऋण मुक्तेश्वर नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर को कुकर्रामठ के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेदक्षण द्वारा सुरक्षित स्मारक है। कहा जाता है कि यहां की प्रतिमा के पत्थरों में विचित्र शक्ति है।

यदि किसी को कुत्ते ने काट लिया है तो इस प्रतिमा के पत्थर को घिसकर पिलाने से कुत्ते का जहर समाप्त हो जाता है। इस मंदिर के द्वारा स्तम्भ में मूर्तियों तथा स्तम्भ की शिराओं में दो घुड़सवारों को घुड़सवारी करते हुए रेखांकित किया गया है। गर्भगृह में विशाल शिवलिंग की स्थापना की गई है, शिपिण्ड के चारों ओर जलहरी बनाई गई है। मंदिर के बाहर गौतम बुद्ध की मूर्ति रखी हुई है। इस मूर्ति के दोनों किनारों पर शेर की आकृति बनी हुई है।

कुकर्रामठ का नामकरण एक कुत्ते की कहानी से भी जुड़ा है। एक बार किसी बंजारे को पैसों की आवश्यकता पड़ी तो पैसे के बदले उसने अपने कुत्ते को एक साहूकार के पास गिरवी रख दिया। कुछ समय बाद साहूकार के घर में चोर, चोरी करने के इरादे से घुसे। कुत्ता यह सब चुपचाप देख रहा था। चोर चोरी की माल लेकर निकल गए, कुत्ता भी चुपचाप उनके पीछे चल पड़ा।

चोर सारा माल एक तलाब में छिपा कर वहां से चले गए। कुत्ता भी यह देख वहां से वापस साहूकार के घर आ गया। सुबह जब साहूकार की नींद खुली तो पता चला कि घर में चोरी हो गई है। कुत्ता वहां आकर जोर-जोर से भौंकने लगा और साहूकार की धोती खींचकर तालाब की ओर ले गया। वहां तालाब में छिपाये सारे माल को कुत्ता निकाल कर सबके सामने रख दिया।

कुत्ते की वफादारी से साहूकार काफी खुश हुआ और उसे ऋणमुक्त करने की सोची। साहूकार ने एक-एक चिठ्ठी लिखी और कुत्ते के गले में बांध कर छोड़ दिया। कुत्ता अपने पुराने मालिक के घर जाने लगा कि रास्ते में ही उसे उसका बंजारा मालिक दिख गया। बंजारा कुत्ते को ऋणमुक्त कराने के लिए आ रहा था। कुत्ते को देख बंजारा ने यह समझा कि कुत्ता साहूकार के घर से भाग गया है।

इसपर बंजारा गुस्से में आकर कुत्ते पर ऐसा प्रहार किया कि वह वहीं मर गया। फिर बंजारा की नजर कुत्ते के गले में बंधी चिठ्ठी पर पड़ी। चिठ्ठी पढ़ते ही बंजारा जोर-जोर से रोने लगा। चिठ्ठी में साहूकार द्वारा कुत्ते को ऋणमुक्त किए जाने की बात लिखी थी।

कुत्ते की स्मृति में वहीं एक मठ का निर्माण करा दिया गया। बाद में यह स्थान कुकर्रामठ के नाम से जाना जाने लगा। माना जाता है कि यहां कुत्ते के काटने पर इस प्रतिमा के पत्थर को घिसकर पिलाने से कुत्ते का जहर समाप्त हो जाता है। ऋणमुक्तेश्वर मंदिर से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। शिवरात्री के समय यहां मेला लगता है।

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